मृदा परीक्षण (Soil Testing) के कार्य में वैज्ञानिक पद्धतियाँ अपनाना आज के समय की कृषि आवश्यकताओं के अनुरूप अत्यंत आवश्यक हो गया है। इससे भूमि की उर्वरता (Soil Fertility), पोषक तत्वों की उपलब्धता (Soil Nutrient Content) और pH स्तर की सटीक जानकारी प्राप्त होती है, जो फसल उत्पादन की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पारंपरिक अनुमान के बजाय अब मॉडर्न लैब तकनीक, सॉइल न्यूट्रिएंट मैपिंग, स्पेक्ट्रोफोटोमेट्रिक एनालिसिस जैसी वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग किया जा रहा है। इन विधियों के माध्यम से मृदा की गुणवत्ता का वैज्ञानिक मूल्यांकन कर किसान अपनी फसलों के लिए आवश्यक उर्वरकों का उचित चयन कर सकते हैं। सतत कृषि (Sustainable Agriculture) और पर्यावरण संतुलन (Environmental Balance) बनाए रखने के लिए मृदा परीक्षण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना एक अत्यंत उपयोगी कदम है।
जीव जंतुओं की तरह पेड़-पौधों को भी अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 20 पोषक तत्वों की आवश्यकता की जरूरत पड़ती है तथा इसकी गुणवत्ता का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक ढंग से जाँच आवश्यक होती है। इस प्रक्रिया से मिट्टी की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है, जिससे उसकी उर्वरता, संरचना और उपयोगिता का निर्धारण किया जाता है।
मिट्टी के जांच के लिए नमूना लेते समय सावधानियां -
1. खाद के ढेर, खेतों की मेड़, सिंचाई की नाली के नजदीक से नमूना नहीं लेना चाहिए।
2. खेत में खड़े पेड़ के जड़ वाले क्षेत्र से नमूना नहीं लेना चाहिए।
3. गीली मिट्टी में नमूना नहीं लेना चाहिए।
4. नमूने को प्लास्टिक के बोरे में रखना चाहिए, किसी रासायनिक बोरो का उपयोग नहीं करना चाहिए।
5. ऊसर या समस्याग्रस्त खेत या उसके किसी भी भाग का नमूना अलग से लेना चाहिए।
भौतिक गुण मिट्टी की संरचना, बनावट और आंतरिक विशेषताओं को दशति हैं।
1 - दृश्य निरीक्षण
मिट्टी का रंग, बनावट, नमी और सतह की संरचना देखी जाती है। गहरी काली मिट्टी उच्च कार्बनिक पदार्थ की ओर संकेत करती है। हल्की पीली या सफेद मिट्टी लवणीयता को दर्शाती है
2 - स्पर्श परीक्षण
मिट्टी को हाथ में लेकर उसकी चिकनाहट या खुरदरापन जांचा जाता है। चिकनी मिट्टी अधिक चिपचिपी होती है, जबकि रेतीली मिट्टी खुरदुरी होती है।
3 - गोलाकार परीक्षण
मिट्टी में थोड़ी नमी मिलाकर गेंद बनाई जाती है। अगर गेंद आसानी से टूट जाती है, तो मिट्टी रेतीली है। अगर गेंद बनी रहती है, तो मिट्टी में चिकनी मिट्टी की अधिकता है।
4 - सेटलिंग टेस्ट
पारदर्शी काँच की बोतल में आधी मिट्टी और आधा पानी मिलाकर हिलाया जाता है। रेत नीचे बैठ जाती है, उसके ऊपर गाद और सबसे ऊपर चिकनी मिट्टी (clay) रहती है।
मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों और रासायनिक विशेषताओं का परीक्षण महत्वपूर्ण होता है।
1 - pH परीक्षण
PH मीटर या लिटमस पेपर से मिट्टी की अम्लीयता या क्षारीयता मापी जाती है।
pH 6 से कम होने पर मिट्टी अम्लीय, 7 के आसपास तटस्थ और 7 से अधिक होने पर क्षारीय होती है।
2- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश परीक्षण
प्रयोगशाला परीक्षणों द्वारा मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा ज्ञात की जाती है। संतुलित पोषक तत्व मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं।
3 - विद्युत चालकता परीक्षण
यह परीक्षण मिट्टी में घुले हुए लवणों की मात्रा को मापता है। उच्च विद्युत चालकता दर्शाती है कि मिट्टी में अधिक मात्रा में लवण घुले हैं, जो फसल के लिए हानिकारक हो सकते है।
4 - कार्बनिक पदार्थ परीक्षण
मिट्टी में जीवांश पदार्थ (ह्यूमश) की मात्रा ऑक्सीडेशन प्रक्रिया से जाँची जाती है। अधिक ह्यूमस वाली मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है।
5 -मिट्टी की जैविक जाँच
मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीवों और जैविक तत्वों का विश्लेषण कृषि उत्पादन के लिए आवश्यक है।
6 - जैविक कार्बन परीक्षण
यह परीक्षण मिट्टी में जैविक पदार्थ की मात्रा को मापता है। जैविक कार्बन की उच्च मात्रा मिट्टी की उर्वंरता में वृद्धि करती है।
7 - माइक्रोबियल एक्टिविटी टेस्ट
मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, कवक आदि) की सक्रियता का विश्लेषण किया जाता है। उच्च सूक्ष्मजीवी गतिविधि वाली मिट्टी अधिक उपजाऊ होती है।
मिट्टी की उर्वरता और पोषण क्षमता का निर्धारण।
उपयुक्त फसलों के चयन में सहायक।
अधिक उर्वरक या जल के उपयोग से बचाव।
कृषि उत्पादन में वृद्धि।
भूमि की दीर्घकालिक उर्वरता बनाए रखना।
और अंत में -
वैज्ञानिक ढंग से मिट्टी की जाँच करने से उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता को समझाने में सहायता मिलती है। विभिन्न परीक्षण विधियों के माध्यम से मिट्टी की संरचना, पोषण तत्व और जैविक स्थिति का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे कृषि, बागवानी और निर्माण कार्यों में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
लेखकगण -
हरि शंकर सिंह रिसर्च स्कॉलर, (मृदा विज्ञान विभाग) चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (उ.प्र.)
अनिल कुमार प्रोफेसर, (मृदा विज्ञान विभाग) चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (उ.प्र.)