लखनऊ में ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगल को गली-गली, चौराहे चौराहे पर हनुमानजी की स्मृति में बड़े-बड़े भंडारों का आयोजन होता है। यह भंडारे आस्था के प्रतीक हैं। भक्ति के प्रतीक हैं। श्रद्धा के प्रतीक हैं। निष्ठा के प्रतीक हैं। सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं। अब आवश्यकता है बड़े मंगल के भंडारे व्यवस्था के प्रतीक बनें। स्वच्छता के प्रतीक बनें। पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक बनें। सम्पूर्ण समाज को संस्कार और प्रेरणा के प्रतीक बनें, यह आवश्यक है।
लोक भारती को यही भाव व्यक्त करने के लिए दो वर्ष पूर्व (कोरोना से पहले) अवसर मिला,जब लखनऊ के परिवर्तन चौक पर सम्पूर्ण ग्रीष्मकाल में प्याऊ और भंडारा चलाने वाली संस्था दुर्गा मन्दिर सेवा समिति के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ताराचंद्र जी का फोन आया कि दो दिन बाद विश्व पर्यावरण दिवस (5जून) आने वाला है। उस अवसर पर ही बड़े मंगल का भंडारा आयोजित है। अतः हम क्या करें जिससे भंडारे के द्वारा पर्यावरण संरक्षण का संदेश सम्पूर्ण समाज को मिले और भंडारा प्रेरणा केन्द्रबने फोन पर ही ताराचंद्र जी को कुछ सुझाव दिए, जिनका अनुपालन दुर्गा मन्दिर सेवा समिति द्वारा किया गया।
उपरोक्त कार्यक्रम से प्रेरित होकर अब लोक भारती ने संकल्प लिया है कि इस वर्ष ज्येष्ठ माह में लखनऊ में आयोजित होने वाले अधिकाधिक भंडारों को आस्था और सेवा के साथ-साथ स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बनाया जाए। इस हेतु स्वच्छ बड़ा मंगल अभियान आरंभ किया गया है। इस अभियान से निरंतर भंडारा आयोजन समितियां जुड़ रही हैं और प्रत्येक दिन बीतने के साथ उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। यह बहुत पवित्र अवसर है, जब यहाँ हनुमानजी का भक्त समाज जहाँ-जहाँ सम्भव होता है, भंडारे का आयोजन बड़े आस्था और पवित्रता से करता है, जहां छोटा-बड़ा, जाति-पाँति का भेद समाप्त हो जाता है। इस अवसर को हम सब और सुन्दर बना कर अपनी आस्था और श्रद्धा को कई गुना उपयोगी बना सकते हैं। पिछले वर्षों में कई भक्तों ने अपने भंडारे में जो प्रयोग किए, वह आप भी अपना सकते है। इसके अंतर्गत भंडारा स्थल अति स्वच्छ हो एवं आवश्यकतानुसार चूने का प्रयोग किया जाए। भंडारा स्थल पर बड़े कूड़े दान की व्यवस्था हो। भंडारे में प्लास्टिक मुक्त दोने-पत्तल का उपयोग हो, यदि दोने और पत्तल पलास के बने हों तो सबसे बेहतर रहेगा। पानी पीने के लिए सागर की व्यवस्था भंडारा में किसी प्रकार के गिलास का प्रयोग नहीं किया जाय। जिन्हें सागर से पानी पीने में कठिनाई हो, उनके लिए 2-3 खाली बोतल रखी जाएं जिसमें सागर से पानी लेकर वह पी सकते हैं। भंडारे के दौरान कार्यकर्ताओं की एक टोली प्रसाद लेते समय प्रत्येक सदस्य को निरंतर बताती रहे कि प्रसाद लेने के बाद दोना और पत्तल कूड़े दान में ही डालना है। यदि कोई भूलवश कहीं और दोने-पत्तल डाल दे तो उसे टोके बिना उसके सामने ही उठाकर कूड़े दान में डालने की व्यवस्था भंडारा पूर्ण होने पर कूड़े दान में एकत्र दोने-पत्तल, भंडारा में प्रयोग हुए सब्जियों के छिलके तथा यदि कहीं प्लास्टिक आ गई है तो उनके तत्काल निस्तारण की व्यवस्था सुनिश्चित हो । भंडारा प्रारम्भ के समय पूजन किया जाता है। उसी प्रकार भंडारा पूर्ण होने और पुनः स्थल को स्वच्छ करके हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जाए। यदि कोई भंडारा आयोजन समिति स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इसके अतिरिक्त भी कोई सार्थक प्रयोग करना चाहे तो अवश्य किया जाना चाहिए।
इसी क्रम में दिनांक 02 मई को लखनऊ में मेडिकल कॉलेज चौराहे के निकट स्थित छाछीकुआं हनुमान मंदिर पर स्वच्छ बड़ा मंगल अभियान के पूर्व एक ऐसा भंडारा आयोजित किया गया जो लोक भारती द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप संपन्न हुआ। इस भंडारे में उपस्थित लोक भारती कार्यकर्ताओ लोक भारती तथा नगर निगम द्वारा निर्धारित स्वच्छ बड़ा मंगल अभियान के मानकों के अनुरूप भंडारा सम्पन्न कराया। प्लास्टिक मुक्त एवं स्वच्छता युक्त इस भंडारे के आयोजन के माध्यम से मॉडल प्रस्तुत किया गया कि बड़ा मंगल अभियान में जो भी भंडारे हों वे पूरी तरह लोक भारती द्वारा निर्धारित आग्रहों के अनुरूप हों जिससे लखनऊ महानगर आस्था संग स्वच्छता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत कर सके । भंडारा समाप्त होने के बाद मंदिर में संगीतमय सामूहिक सुन्दर कांड पाठ भी हुआ। - लेखक लोक भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री
हैं।
"02 मई को लखनऊ में मेडिकल कॉलेज चौराहे के निकट स्थित छाछीक आ हनुमान मंदिर पर स्वच्छ बडा मंगल अभियान के पूर्व एक ऐसा भंडारा आयोजित किया गया जो लोक भारती द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप संपन्न हुआ"