हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वॉयरन्मेंट के क्षेत्र में प्रशिक्षत युवाओं का भविष्य बेहद उज्ज्वल है, इस क्षेत्र से जुड़े कोर्सेज की मदद से आप भी भविष्य संवार सकते हैं....
आज का युवा जॉब आरिएंटेड कोर्सेज की तरफ तेजी से भाग रहा है। ऐसे बहुत से कोर्सेज हैं, जिनके जरिये एक अच्छी जॉब आसानी से पाई जा सकती है। ऐसा ही एक क्षेत्र हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वॉयरन्मेंट का है, जिसमें रोजगार के बड़े अवसर विद्यमान हैं। खासतौर पर प्राकृतिक आपदाओं और आग लगने जैसी घटनाओं के मामले ने इस क्षेत्र में कॅरिअर विकल्पों को और ज्यादा बढ़ा दिया है जो लोग इस क्षेत्र में कॅरिअर की बुलंदी तक पहुंचना चाहते हैं, वे डिप्लोमा से लेकर ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज के जरिये तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।
हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वॉयरन्मेंट इंजीनियर का मुख्य कार्य आपदा या दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना है। फायर फाइटिंग सिविल, इलेक्ट्रिकल, एन्वॉयरन्मेंट इंजीनियरिंग भी इसी से जुड़ा क्षेत्र है। मसलन, महामारी की रोकथाम के उपायों से संबंधित यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंकलर सिस्टम, अलाम, केमिकल या सैनेटाइजर की बौछार का सबसे स्टीक इस्तेमाल और कम से कम संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा लोगों की रक्षा करना इनका उद्देश्य होता है।
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए डिग्री की जरूरत तो है ही, उससे भी ज्यादा जरूरत विशेष योग्यताओं की होती है। हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वॉयरमेंट विशेषज्ञ के अंदर साहस और धैर्य के साथ लीडरशिप व तुरंत निर्णय लेने की क्षमता का होना जरूरी है, ताकि किसी भी बड़ी दुर्घटना को कंट्रोल किया जा सके। इस क्षेत्र में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स में दाखिले के लिए 12वीं पास होना अनिवार्य है। प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन होता है। 12वीं में केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित में 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
इस फील्ड में कॅरिअर बनाने के लिए शारीरिक योग्यता भी देखी जाती है। पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर, वजन 50 किलोग्राम, तो वहीं महिलाएं कम से कम 157 सेंटीमीटर लंबी और वजन कम से कम 46 किलोग्राम होना चाहिए आई विजन 6/6 और उम्र 19 साल से 23 साल के बीच होनी अनिवार्य है।
दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग के डायरेक्टर, जिले सिंह लाकड़ा का कहना है कि इस क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। पहले सिर्फ महानगरों में फायर स्टेशन होते थे, लेकिन आज हर जिले में फायर स्टेशन हैं। औद्योगिक एवं कारोबारी क्षेत्र का तेजी से विस्तार
हुआ है। ऐसे विशेषज्ञों की जरूरत अग्निशमन विभाग के अलावा आर्किटेक्चर और बिल्डिंग निर्माण, इंश्योरेंस एसेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, रिफाइनरी, गैस फैक्टरी, निर्माण उद्योग, प्लास्टिक उद्योग, हॉस्पिटेलिटी उद्योग, एलपीजी तथा केमिकल प्लांट्स, बहुमंजिला इमारतों व एयरपोर्ट हर जगह पड़ती है।