मुम्बई में कचरे का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है। कचरे को डम्प करने के लिये मनपा के पास तीन डम्पिग ग्राउंड मौजूद है लेकिन इनमें से दो डम्पिंग ग्राउंड देवनार और मुलुंड की क्षमता समाप्त हो चुकी है। मुम्बई में रोजाना 9,500 मेट्रिक टन कचरा निकलता है इसमें 1,500 मेट्रिक टन मलबे का समावेश है। 9,500 मेट्रिक टन में से 3,000 मेट्रिक टन कचरा कांजुरमार्ग डम्पिंग ग्राउंड और शेष कचरा देवनार और मुलुंड डम्पिंग ग्राउंड में डम्प किया जाता है।
कचरे की समस्या से निपटने के लिये मुम्बई में रोजाना निकलने वाले कचरे पर वैज्ञानिक पद्धति से प्रक्रिया करने की परियोजना शुरू करने का प्रयत्न मनपा देवनार, कांजुरमार्ग और मुलुंड डम्पिंग ग्राउंड पर कर रही है। कचरे से कायाकल्प होगा। इसके तहत कचरे से बिजली और खाद बनाने की मनपा की योजना है। हालांकि कचरे का निपटारा अपने स्तर पर वार्डों में सक्रिय एएलएम (एडवांस लोकर मैनेजमेंट) निजी हाउसिंग सोसायटियाँ कर रही हैं। कचरे की समस्या को सुलझाने का जिम्मा सिर्फ मनपा पर ही नहीं डाला जा सकता है इसके लिये सभी को अपने स्तर पर योगदान देना होगा।
डम्पिंग ग्राउंड में डम्प कचरे के निपटारे के लिये मनपा की कचरे से बिजली बनाने की योजना है। देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे से बिजली बनाने की परियोजना के लिये मनपा ने टाटा कंसल्टेंसी कम्पनी से सलाह माँगी है। इसके अलावा कांजुरमार्ग डम्पिंग ग्राउंड में मिथेन गैस से बिजली बनाने की परियोजना लगभग अपने अन्तिम चरण पर है। बिजली उत्पादित करने के लिये स्पेन से यहाँ मशीन लाकर इसे जल्द ही कार्यान्वित किया जाएगा। लगभग यही स्थिति मुलुंड डम्पिंग ग्राउंड की भी है।
सूखे और गीले कचरे का वर्गीकरण शहर को कचरा मुक्त करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण बात है और मनपा इस पर जोर भी दे रही है। स्थानीय स्तर पर कचरे का वर्गीकरण अधिक हो इसलिये 24 से 25 नए वर्गीकरण केन्द्र शुरू किये गए हैं। इन केन्द्रों में खाद बनाने का प्रकल्प भी शुरू है।
मुम्बई में रोजाना निकलने वाले 9,500 मेट्रिक टन कचरे में 1,500 मेट्रिक टन कचरा मलबा होता है। शहर में होने वाले निर्माण कार्य से निकलने वाले मलबे को कुछ लोग खुली जगह और सड़कों पर फेंक देते हैं। इससे निपटने के लिये मनपा ने मार्च 2014 ‘डेब्रिज ऑन कॉल’ सेवा शुरू की है। लोगों व भवन निर्माताओं से एक तय शुल्क वसूलकर मनपा मलबे को डम्पिंग ग्राउंड में डम्प करती है।
मलबे की बढ़ती समस्या के निपटारे के लिये मनपा ने मलबे पर प्रक्रिया कर उससे रेती और सीमेंट बनाने की योजना बनाई है। रोजाना निकलने वाले 1,500 मेट्रिक टन मलबे से आधुनिक तकनीक की मदद से रेती, सीमेंट और खड़ी अलग की जाएगी। अलग की गई इन सामग्रियों पर दोबारा प्रक्रिया कर इसे इस्तेमाल योग्य बनाया जाएगा।
मनपा ने 35 सूखा कचरा केन्द्र मुम्बई में शुरू किये और नए 35 केन्द्र शुरू करने के लिये जगहों का भी चयन किया है। कचरा चुनने वाली एजेंसियाँ सूखे कचरे के वर्गीकरण का काम सूख कचरा केन्द्र में कर रही हैं। मनपा के 24 वार्डों में कचरे की ढुलाई के लिये 46 वाहन कार्यरत हैं। प्लास्टिक, पेपर, थर्माकोल, धातु जैसे सूखे को अलग कर इसे प्रक्रिया के लिये भेजा जाता है।
मनपा अपने 369 वाहनों और 989 निजी वाहनों की मदद से शहर के कचरे की ढुलाई करती है। रोजाना 1,900 चक्कर वाहन कचरे के संकलन केन्द्र से डम्पिंग तक लगाते हैं।
मुम्बई को स्वच्छ व सुन्दर रखने तथा सड़कों पर थूकने, कचरा फेंकने वालों पर नजर रखने की जिम्मेदारी मनपा ने क्लीन-अप मार्शल पर सौंपी है। इस योजना को मनपा ने दोबारा शुरू किया है। क्लीन अप मार्शल मई महीने से शहर के करीब 800 जगहों पर तैनात रहकर गन्दगी करने वालों को दण्डित करेंगे।
दादर स्थित प्रमोद महाजन उद्यान में साढ़े तीन एकड़ जमीन पर कचरा प्रक्रिया केन्द्र शुरू किया जाएगा। इस प्रक्रिया केन्द्र पर रोजाना 1,200 मेट्रिक टन कचरे पर प्रक्रिया की जा सकेगी। इसके शुरू होने से मुम्बई शहर की कचरे की समस्या एक हद तक सुलझ सकेगी।
19 किमी. ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे, 25 किमी. वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे, 20 किमी. बांद्रा-कुर्ला काम्प्लेक्स, 22.5 किमी. ईस्टर्न फ्री-वे और 3.5 किमी. सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड की सफाई मशीन के जरिए की जाती है।
मेसर्स एसएमएस एन्वोक्लीन के साझेदारी में मनपा ने देवनार में बायोमेडिकल कचरा प्रक्रिया केन्द्र शुरू किया है। सुई, हैंड ग्लव्स, ग्लूकोज की बोतलें आदि जैसे बायोमेडिकल कचरे पर प्रक्रिया की जाती है। रोजाना 15 मेट्रिक टन बायोमेडिकल कचरे पर प्रक्रिया की जाती है।
सूखे-गीले कचरे के लिये मनपा ने मुम्बई के प्रत्येक नुक्कड़, गली-मोहल्लों में सूखे और गीले कचरे के लिये दो अलग-अलग कूड़ेदान लगाए हैं। इन कूड़ेदानों के अलावा प्रत्येक हाउसिंग सोसायटियों से कचरों को अलग करने की अपील भी मनपा समय-समय पर करती रहती है।
कचरे के निपटारे के लिये मनपा हाउसिंग सोसायटियों में कचरे से खाद बनाने की परियोजना शुरू करने पर जोर दे रही है। इसमें मनपा को भी सफलता मिल रही है। कई हाउसिंग सोसायटियाँ गीले कचरे जैसे बची सब्जियाँ, चाय पत्ती, शाकाहारी व मांसाहारी अन्न से खाद बनाने का काम ‘एएलएम’ की मदद से कर रही है। इसके अलावा कचरा चुनने वाली महिलाएँ सूखे और गीले कचरे को अलग कर रोजाना 12 मेट्रिक टन गीले कचरे पर प्रक्रिया कर रही हैं। एक आँकड़े के मुताबिक 800 मेट्रिक टन सूखे और गीले कचरे पर मनपा के केन्द्रों पर प्रक्रिया की जाती है और 400 मेट्रिक टन कचरे पर हाउसिंग सोसायटियों में प्रक्रिया की जाती है।