बीते दो अक्टूबर को देश को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है। इधर, सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी बता रही है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से खुले में शौच का कलंक नहीं मिट सका। जिले में 61 हजार 107 परिवारों के पास शौचालय नहीं है।
यहां रोज सुबह हजारों परिवार शर्मसार हो रहे हैं। यह बात अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी जानते हैं, लेकिन सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी गई जानकारी ने आधिकारिक आंकड़े बयां कर दिए हैं। दो अक्टूबर, 2014 को शुरू हुए खुले में शौच से मुक्त अभियान के तहत वर्ष 2019 तक पूरे देश को ओडीएफ करने का दावा किया गया था, लेकिन इस जिले में ऐसा नहीं हो सका। निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष न तो शौचालय बन सके और न ही डिमांड के अनुसार बजट मिला।
जन सूचना अधिकार के तहत पंचायती राज विभाग से मिली जानकारी में बताया गया है कि 1077 पंचायतों वाले इस जिले में अब भी 61 हजार 107 परिवारों के पास शौचालय नहीं हैं। यानी इन परिवारों के सदस्य खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। इनमें से कुछ तो शौचालय बनवाने में सक्षम हैं, लेकिन तमाम ऐसे हैं, जिनके पास इसके लिए रुपये नहीं हैं। प्रशासन खुले में शौच न जाने की अपील करता है, पकड़े जाने पर जुर्माने की चेतावनी देता है, पर शौचालय बनवाने के सवाल पर बजट नहीं है का जवाब मिलता है।
यह स्थिति तब है जबकि जिले में तमाम लोगों ने अपने संसाधनों से शौचालयों का निर्माण कराया। जिला प्रशासन की अपील पर सामाजिक संगठन भी इस मुहिम में साथ आए। सभी के सहयोग से 42 हजार 856 शौचालय बनवाए गए। बावजूद इसके जिला खुले में शौच मुक्त नहीं हो सका।
नो वन लेफ्ट बिहाइंड (एनओएलबी) यानी कोई न छूटे नीति के तहत इन 61 हजार परिवारों को चिन्हित किया गया है। पिछले बजट से हमारे पास थोड़ी धनराशि बची हुई है, जिससे कुछ शौचालयों का निर्माण शुरू भी करा दिया है। शेष लाभाíथयों के लिए बजट का इंतजार कर रहे हैं।
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