मल्टीमीडिया

आज भी खरे हैं तालाब (पोस्टर)

Author : इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) टीम

अनुपम मिश्र की कालजयी पुस्तक ‘आज भी खरे हैं तालाब’ में हम सीता बावड़ी का एक चित्र देखते हैं।

आज भी खरे हैं तालाब (पोस्टर)

इतनी सब बातें एक सरस रेखा चित्र में उतार पाना बहुत कठिन है लेकिन हमारे समाज का एक बड़ा हिस्सा बहुत सहजता के साथ इस बावड़ी को गुदने की तरह अपने तन पर उकेरता रहा।

सैंकड़ों, हजारों तालाब, जोहड़, नाडी, कुएं, कुंई, बेरी, ऐरि आदि अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई, दहाई मिलकर सैंकड़ा, हजार बनती थी।

पिछले दो सौ बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज के एक हिस्से ने इस इकाई, दहाई, सैंकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया है।

यह शून्य फिर से इकाई, दहाई, सैंकड़ा और हजार बन सकता है।

आज भी खरे हैं तालाब के दो पोस्टर यहां संलग्न हैं इनका उपयोग आप डेस्कटॉप का मुख्य व्यू बनाने के लिए भी कर सकते हैं और साथ ही इनका उपयोग आप अपने कार्यक्रमों में भी कर सकते हैं।

SCROLL FOR NEXT