नीतियां और कानून

गांवों में शहरों जैसी सुविधाओं का विस्तार

नवनीत रंजन

आज भारत के गांवों में बदलाव की नई इबारत लिखी जा रही है। गांवों में हुई नई पहल का असर दिखाई पड़ रहा है। गांवों में भी शहर जैसी सुविधाएं हैं। लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है। गांव-गांव सड़कें पहुंच गई हैं और आधारभूत सुविधाओं का लगातार विकास हो रहा है। गांव-गांव में न सिर्फ बैंक खोले जा रहे हैं बल्कि डाकघरों को भी बैंक के रूप में विकसित किया जा रहा है। आज कच्चे मकानों से भी हेलो की आवाज सुनाई पड़ती है। खेत-खलिहान से ही किसान संचार क्रांति के जरिए अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर रहे हैं। “भारत गांवों में बसता है। गांवों में जब तक शहरों जैसी सुविधाएं विकसित नहीं की जाएंगी, तब तक समग्र भारत का विकास नहीं होगा”, यह अवधारणा थी महात्मा गांधी की। महात्मा गांधी की इसी अवधारणा को केंद्र सरकार ने आत्मसात किया और ग्रामीण भारत के विकास के लिए कई नए प्रयोग किए। विभिन्न क्षेत्रों में समग्र विकास को गति देने के लिए एक के बाद एक योजनाएं लागू की और योजनाओं के सही तरीके से क्रियान्वयन करने और आम आदमी को योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जरूरत के मुताबिक संविधान में भी संशोधन किया।

जुलाई और नवंबर 2008 में महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच किए गए एक सर्वे में पाया गया कि मोबाइल ने किसानों की हर समस्या का समाधान कर दिया है। सर्वेक्षण से यह बात उभरकर सामने आई कि मोबाइल का सबसे ज्यादा फायदा महाराष्ट्र के किसानों ने उठाया है। दूसरे नंबर पर राजस्थान के किसान रहे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश के। यूपीए सरकार की ओर से किए गए इन उपायों के असर भी दिखाई पड़ने लगे हैं। राष्ट्रीय कृषि विभाग योजना के तहत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन से जहां फल-फूल और सब्जी व मसालों की पैदावार बढ़ी है वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत अनाज एवं दालों का उत्पादन बढ़ा है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून के लागू होने के बाद न सिर्फ शैक्षिक विकास को गति मिली है बल्कि बेरोजगारी की दर में भी गिरावट आई है। लोगों को रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ रहा है, उन्हें गांव में ही अपने घर के आसपास रोजगार मिल रहे हैं।

ग्रामीण भारत के विकास में केंद्र सरकार ने हमेशा ही रुचि दिखाई है, लेकिन इसे गति मिली पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में। आज जिस संचार क्रांति ने भारत के विकास में नई पहल की है, उस संचार क्रांति का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को जाता है। ग्रामीण भारत में नई पहल करने की जो नींव उन्होंने रखी, उसी नींव पर आज बुलंद इमारत तैयार हो रही है। यही वजह है कि एक तरफ संचार क्रांति का सपना साकार हुआ तो दूसरी तरफ पंचायती राज की अवधारणा पूरी हुई। आज जो पंचायती राज एक्ट हमारे सामने है, उसमें महात्मा गांधी से लेकर जयप्रकाश नारायण की परिकल्पना समाहित है। गांधी और जेपी दोनों की मान्यता थी कि पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, चुनाव सुनिश्चित कराए जाएं, वित्तीय अधिकार और पंचायतों को विकास का एजेंट न बनाकर उसे स्थानीय स्वशासन की इकाई बनाया जाए। इस परिकल्पना को पंचायती राज एक्ट में परिलक्षित किया गया, जिसका असर आज हमारे सामने दिखाई पड़ रहा है।

पेयजल में सामुदायिक भागीदारी को और बढ़ाने तथा मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता निगरानी और सतर्कता कार्यक्रम फरवरी, 2006 में प्रारंभ किया गया। इसके तहत हर ग्राम पंचायत से पांच व्यक्तियों को पेयजल गुणवत्ता की नियमित निगरानी के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए शत-प्रतिशत आर्थिक सहायता, जिसमें पानी परीक्षण किट भी शामिल है, प्रदान की जाती है। पहली हरितक्रांति को अब तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है। इस दौरान देश की जनसंख्या भी बढ़ी है और लोगों की जरूरतें भी, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था में 58 फीसदी लोगों को रोजगार और जीविका मुहैया कराने वाली कृषि का रकबा बढ़ने के बजाय घटा है। ऐसे में सरकार के सामने ग्रामीण विकास को नया आयाम देना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सरकार की दूरदर्शी नीतियों की वजह से किसी न किसी रूप में गांवों में खुशहाली लौट रही है। ग्रामीण इलाके में बिजली, पानी, स्वास्थ्य, संचार, शिक्षा, रोजगार आदि के साधन बढ़ रहे हैं। इसका असर यह हुआ कि ग्रामीणों का पलायन थम रहा है। लोग शहरों के बजाय गांवों में ही उन सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं, जिनके लिए शहर आना मजबूरी होती थी। आज गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना है तो स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, इंदिरा गांधी आवास विकास योजना, भारत निर्माण, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना सहित तमाम ऐसी योजनाएं हैं, जिनके जरिए भारत के गांवों को विकसित करने के लिए नई पहल हो रही है। देश की सभी पंचायतों को इंटरनेट से सुसज्जित किया जा रहा है। यहां रेलवे आरक्षण से लेकर किसानों को मौसम तक की जानकारी मिल सकेगी। अभी शुरुआती दौर में ढाई लाख केंद्र खोले जा रहे हैं, जबकि वर्ष 2014 तक हर पंचायत में ऐसा ही एक केंद्र हो जाएगा।

डाकघर जल्द बनेंगे बैंक

संचार क्रांति का सच होता सपना

ऑप्टिकल फाइबर केबल

अब कॉल सेंटर गांवों की ओर

एफटीएच फाइबर टू होम

गांवों में शैक्षिक विकास

सड़कों ने खोला गांवों के विकास का रास्ता

गांवों तक पहुंची स्वास्थ्य सुविधाएं

हर घर हुआ रोशन

पानी की समस्या का हुआ समाधान

केंद्र के सहयोग से बिहार में नई पहल

पंचायतों के विकास को नई पहल

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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