नीतियां और कानून

क्षमता निर्माण के माध्यम से लचीलेपन का निर्माण

इस ब्लॉग में 2022-23 के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के उद्देश्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करें | In this blog get information about the objectives of National Jal Jeevan Mission for 2022-23

Author : दिशा रंजन

सुरक्षित स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण पेयजल तक पहुंच प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और यह एक समृद्ध और स्वस्थ अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देता है। जल जीवन मिशन (जेजेएम) के निर्माण का केन्द्र बिन्दु 'स्थिरता' है। ग्रामीण भारत में हर परिवार में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करने के लक्ष्य के अलावा, जेजेएम जनिक स्वास्थ्य इंजीनियरों का एक ऐसा कैडर बना रहा है, जो व्यापक क्षमता-निर्माण उपायों के माध्यम से समुदाय के साथ मिलसार्वकर काम करने वाले सामाजिक इंजीनियर बनने के लिए सुसज्जित हैं।

3 विभिन्न स्तरों के हितधारकों; सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में वरिष्ठ स्तर के नीति निर्माताओं; जन स्वास्थ्य इंजीनियरों और सामुदायिक स्तर के प्रतिनिधियों के लिए इन उपायों को करने के लिए प्रमुख संसाधन केंद्रों (केआरसी) के रूप में ज्ञात कुल 100 विशिष्ट संस्थानों/संगठनों को सूचीबद्ध किया गया है।

के हितधारकों के लिए कुल 19 कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 6 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के 36 प्रतिभागियों के साथ 2 कार्यक्रमों को सार्वजनिक खरीद, पेयजल आपूर्ति में अनुबंध और मध्यस्थता और ग्रामीण जल आपूर्ति में सार्वजनिक उपयोगिता दृष्टिकोण और नल कनेक्शन की सेवा सुपुर्दगी/कार्यक्षमता पर ध्यान केंद्रित करने वाले विषयों के साथ पूरा किया गया है।

के हितधारकों, जो अनिवार्य रूप से समुदाय और जेजेएम के तकनीकी कार्यान्वयन के बीच सेतु होते हैं, के लिए कुल 155 कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई है। इस स्तर के प्रमुख हितधारक अधीक्षण अभियंता, कार्यकारी अभियंता, सहायक कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, रसायनज्ञ और प्रयोगशाला कर्मचारी हैं। अब तक, 454 प्रतिभागियों के साथ 16 प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे किए जा चुके हैं जिनमें 3 चल रहे हैं और 18 आगामी केवल सितंबर के महीने में ही होंगे।

  • ग्रामीण जलापूर्ति योजना का संचालन और रखरखावः
  • ग्रामीण जल आपूर्ति योजना की कार्यशीलता और दीर्घकालिक स्थिरताः
  • जल गुणवत्ता निगरानी और देखरेख;
  • दीर्घकालिक स्थिरता के लिए स्रोत की पहचान- वर्षा जल संचयन भूजल पुनर्भरण और जल संरक्षण;
  • पीने के पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए स्मार्ट और किफायती प्रौद्योगिकियां;
  • गुणवत्ता नियंत्रण और तृतीय-पक्ष निरीक्षण- पाइप गुणवत्ता परीक्षण पर ध्यान देने के साथ;
  • झरना आधारित जल आपूर्ति प्रणालियों में मुद्दों की चुनौतियों और समाधानों पर ध्यान देने के साथ भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से एकीकृत स्प्रिंगशेड प्रबंधन; तथा
  • एनएबीएल प्रत्यायन के लिए आईएसओ/आईईसी 17025:2017 के अनुसार प्रयोगशाला प्रणाली और आंतरिक लेखा परीक्षा कार्यक्रम।

के हितधारकों के लिए अब तक 5 कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई है और 1 चार दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण जारी है। केआरसी ने परामर्श के बाद राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सावधानीपूर्वक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए हैं और आवश्यकता-विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं। मिशन द्वारा शुरू किए गए विभिन्न क्षमता-निर्माण उपायों ने स्रोत को बनाए रखते हुए एफएचटीसी प्रदान करके गुणवत्तापरक और पर्याप्त पेयजल प्रदान करने के लिए गांव के स्थायी बुनियादी ढांचे के निर्माण के तकनीकी ज्ञान पर हितधारकों के ज्ञान के आधार का विस्तार करने में सहायता की है।

जेजेएम के कार्यान्वयन के साथ-साथ उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए व्यापक तौर पर योगदान देना, महिलाओं के कठोर श्रम को कम करना और हितधारकों के बीच साझेदारी का निर्माण करना है। जेजेएम इनके द्वारा एक विशाल व्यवहार परिवर्तन की दिशा में भारत का समझदारीपूर्ण कदम है; पानी को हर किसी का कार्य बनाने के लिए सीमाओं की पहचान करना, रणनीति बनाना, प्रभावी समाधान का निर्धारण करना और उन्हें क्रियान्वित करना। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जेजेएम ने स्वच्छ, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण पेयजल के अपने मूल अधिकार के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की व्यापक लहर पैदा की है। जेजेएम के जीवन चक्र का प्रत्येक चरण कार्यक्रम की स्थिरता और पानी के महत्व दोनों के लक्ष्य की ओर अभिसरण करता है। इसके अलावा, हर गुजरते दिन के साथ जेजेएम पूरे जोरों पर है और भारत के प्रत्येक नागरिक में स्वामित्व और जवाबदेही की भावना पैदा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

स्रोत :  जलजीवन संवाद, अंक 24, सितम्बर 2022

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