उत्तर -
इस कानून के पीछे जो बुनियादी सोच है, वह यह है कि जो कोई भी व्यक्ति मान्य न्यूनतम मजदूरी दर पर अनियमित मजदूरी करने को तैयार हो, उसे रोजगार की कानूनी गारंटी दी जाए। इस कानून के तहत जो भी वयस्क काम पाने का आवेदन दे उसे पंद्रह दिन की अवधि में सार्वजनिक कार्यों पर काम पाने की हकदारी है। इस प्रकार रोजगार गारंटी कानून बुनियादी रोजगार का सार्वजनिक व कानून द्वारा लागू किया जा सकने वाला अधिकार देता है। सम्मान के साथ जीने के बुनियादी अधिकार को कानून द्वारा लागू करने की दिशा में यह एक कदम है।
उत्तर -
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 आधे मन से बनाया गया रोजगार गारंटी कानून है। इसके तहत कोई भी वयस्क जो काम का आवेदन करे, उसे आवेदन के बाद 15 दिन की अवधि में किसी सार्वजनिक कार्य पर काम पाने की हकदारी प्राप्त हुई है। परन्तु यह हकदारी सीमित है। उदाहरण के लिए काम की यह गारंटी केवल ग्रामीण इलाकों के लिए है और वहां भी 100 दिवस प्रति परिवार, प्रतिवर्ष तक सीमित की गई है। साथ ही 2005 में पारित कानून सजग नागरिकों द्वारा अगस्त 2004 में बनाए गए प्रारूप की तुलना में कई अर्थों में कमजोर है। पर कहने का मतलब यह नहीं है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून बेकार है। यह सामाजिक सुरक्षा की दिशा में बढ़ने के लिए एक संभावित सीढ़ी भी है।