दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है। यहां रहने वाले लोग दिन का बड़ा हिस्सा सड़कों पर, बसों में, ऑटो, कार या मेट्रो में सफ़र करते हुए बिताते हैं। ऐसे में सवाल सिर्फ़ यह नहीं है कि शहर की हवा कितनी ख़राब है, बल्कि यह भी है कि सफ़र करते समय हम कितनी प्रदूषित हवा सांस के ज़रिये शरीर में ले रहे हैं।
इसी अहम सवाल को समझने की कोशिश दिल्ली के शोधकर्ताओं ने की, जिसके निष्कर्ष 29 दिसंबर को एक शोधपत्र के रूप में जारी किए गए। यह अध्ययन दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन (कालकाजी मंदिर से मुनिरका तक लगभग 10.5 किमी) पर यात्रियों की प्रदूषण के प्रति धारणा और वास्तविक प्रदूषण माप का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन सीएसआईआर - सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट की वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ. एस पद्मा व डॉ. अनुराधा शुक्ला और इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, नई दिल्ली के डॉ. नीतीश डोगरा ने किया।
इस अध्ययन दो भागों में किया गया।
पहला: यात्रियों से पूछा गया कि उन्हें अलग-अलग परिवहन साधनों में प्रदूषण का कितना ख़तरा महसूस होता है।
दूसरा: इसी रूट पर मेट्रो, बस, कार, ऑटो और दोपहिया में PM2.5, PM10, PM1, कार्बन मोनोऑक्साइड और ब्लैक कार्बन को वैज्ञानिक उपकरणों से मापा गया।
नतीजे बताते हैं कि यात्री सिर्फ़ अनुमान नहीं लगा रहे, बल्कि उनकी धारणा काफी हद तक हकीकत से मेल खाती है।
यह रिसर्च दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर पड़ने वाले स्टेशनों को कनेक्ट करने वाले कुछ इलाकों में किया गया। शोधकर्ताओं ने कालकाजी मंदिर और मुनिरका के बीच के कुछ इलाकों का चयन किया और रूट पर चलने वाले वाहनों में प्रदूषण के स्तर को मापा। अध्ययन मार्ग पर यात्रियों के PM1, PM2.5 और PM10 के संपर्क (एक्सपोज़र) को GRIMM एरोसोल स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से मापा गया।
वहीं कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और ब्लैक कार्बन (BC) के स्तर की निगरानी क्रमशः लैंगन CO पर्सनल मॉनिटर और माइक्रोएथेलोमीटर के जरिये की गई।
इलाकों की सूची इस प्रकार है-
जनकपुरी पश्चिम
डाबड़ी मोड़–जनकपुरी साउथ
दशरथपुरी
पालम
सदर बाजार छावनी
टर्मिनल 1-आईजीआई एयरपोर्ट
शंकर विहार
वसंत विहार
मुनिरका
आर. के. पुरम
आई.आई.टी. दिल्ली
हौज़ खास
पंचशील पार्क
चिराग दिल्ली
ग्रेटर कैलाश
नेहरू एन्क्लेव
कालकाजी मंदिर
ओखला एन.एस.आई.सी.
सुखदेव विहार
जामिया मिलिया इस्लामिया
ओखला विहार
जसोला विहार-शाहीन बाग
कालिंदी कुंज
ओखला बर्ड सैंक्चुअरी
बॉटनिकल गार्डन
रिसर्च के मुताबिक, 10 किमी की यात्रा में पीएम2.5 का औसत मान कुछ इस प्रकार रहा:
मेट्रो में PM2.5 का स्तर सबसे कम पाया गया।
ऑटो-रिक्शा और दोपहिया वाहन सबसे ज़्यादा प्रदूषण वाले निकले।
खिड़की खुली बस और कार में प्रदूषण का स्तर, खिड़की बंद (या AC) की तुलना में ज़्यादा था।
यह साफ़ करता है कि खुला या अर्ध-खुला परिवहन साधन यात्रियों को सड़क पर निकलने वाले धुएं के सीधे संपर्क में लाता है।
अगर आप दिल्ली में रह रहे हैं तो सड़कों पर निकलते वक्त आपको मास्क जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि न केवल माइको कण बल्कि ब्लैक कार्बन भी सांस के जरिए आपके शरीर में जाता है। इस अध्ययन के दौरान चुनिंदा स्थानों पर चलने वाले वाहनों में उपकरण लगाकर ब्लैक कार्बन की सांध्रता (कंसंट्रेशन) भी मापा गया। इस दौरान सबसे ज्यादा ब्लैक कार्बन ऑटो रिक्शा में पाया गया, जबकि मेट्रो में चलने वाले लोग ब्लैक कार्बन के संपर्क में सबसे कम आये।
दिल्ली में रोज़ाना लाखों लोग काम, पढ़ाई और अन्य ज़रूरतों के लिए सफर करते हैं। यह अध्ययन बताती है कि:
मेट्रो केवल ट्रैफ़िक से बचाने वाला विकल्प नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
जो लोग रोज़ाना दोपहिया वाहनों, ऑटो या खुली बसों में सफ़र करते हैं, वे लगातार ज़्यादा प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं।
कम दूरी (10 किमी से कम) के सफ़र में भी प्रदूषण का असर कम नहीं होता है।
यानि कुल मिलाकर अगर आप यह सोच कर मास्क नहीं लगाते हैं कि अरे 10 किलोमीटर दूर ही तो जाना है, तो आप गलत हैं। दूरी चाहे कितनी ही कम क्यों न हो, मास्क लगाना हमेशा सुरक्षित है और उससे भी अधिक सुरक्षित है मेट्रो से सफ़र करना।
अधिकांश यात्रियों को लगता है कि मेट्रो में प्रदूषण का जोखिम कम है।
बस, ऑटो, कार और दोपहिया को मेट्रो से ज़्यादा प्रदूषित माना गया।
महिलाएं और कम दूरी तय करने वाले यात्री प्रदूषण के प्रति अधिक सजग पाए गए।
जिन यात्रियों का वेटिंग टाइम कम है, वे मेट्रो को ज़्यादा प्राथमिकता देते हैं।
कम शिक्षा और कम वाहन स्वामित्व वाले लोग बस पर अधिक निर्भर रहते हैं।
प्रदूषण की समझ (perception) यात्रा के साधन के चुनाव को प्रभावित करती है।
मेट्रो और अलग-थलग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना सिर्फ़ ट्रैफ़िक नहीं, स्वास्थ्य नीति भी है।
बसों में बेहतर वेंटिलेशन, AC और समर्पित लेन यात्रियों की प्रदूषण-एक्सपोज़र घटा सकती हैं।
यात्रियों को रीयल-टाइम एयर क्वालिटी जानकारी देना, उनके व्यवहार को बदल सकता है।
अध्ययन में शामिल डा. पद्मा ने इंडिया वॉटर पोर्टल से बातचीत में कहा कि यह अध्ययन भले ही मुनिरका और कालकाजी मंदिर के बीच किया गया है, लेकिन दिल्ली के बाकी क्षेत्रों की एयर क्वालिटी भी लगभग ऐसी ही है। अलग-अलग समय पर मापने में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। लिहाज़ा ऐसा नहीं है कि केवल इसी रूट पर ही मेट्रो का सफ़र करना सुरक्षित है, बल्कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को मेट्रो से ही सफर करना चाहिए।
एसी कार एवं एसी बस के विकल्पों से जुड़े सवाल के जवाब में डॉ. पद्मा ने कहा कि अगर आप एसी कार से भी चल रहे हैं तो भी प्रदूषण के संपर्क में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब लोगों को मेट्रो ट्रेन से सफर करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य की दृष्टि से बाकियों की तुलना में यह सुरक्षित है।