प्रदूषण और जलगुणवत्ता

पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से मानव शरीर पर कुप्रभाव

शशिरंजन कुमार

फ्लोरोसिस आधुनिक भारतीय समाज (खासकर ग्रामीण समाज) का वह अभिशाप है जो सुरसा की तरह मुॅंह फैलाए जा रही है और हजारों लोग प्रतिवर्ष इसकी चपेट में आकर वैसा ही महसूस कर रहे हैं जैसा कोई अजगर की गिरफ़्त में आकर महसूस करता है।

फ्लोरोसिस मनुष्य को तब होता है जब वह मानक सीमा से अधिक घुलनशील फ्लोराइड-युक्त पेयजल को लगातार पीने के लिये व्यवहार में लाता रहता है।

भारत में फ्लोरोसिस सर्वप्रथम सन् 1930 के आस-पास दक्षिण भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश में देखा गया था। लेकिन आज भारत के विभिन्न राज्यों में यह बिमारी अपने पाँव पसार चुकी है और दिन-प्रतिदिन इसका स्वरूप विकराल ही होता चला जा रहा है।

यह देखा गया है कि अशिक्षित, गरीब व कुपोषित ग्रामीणों में फ्लोरोसिस की बीमारी बहुत ही जल्दी पनप जाती है। फ्लोरोसिस की चपेट में आकर मनुष्य असमय ही वृद्ध होने लगता है, उसकी कमर झुुकने लगती है और वह चलने-फिरने से लाचार हो जाता है।

कभी-कभी तो वह गूंगेपन का भी शिकार हो जाता है। ये सभी कुछ ऐसी सामाजिक त्रासदियाँ हैं जिनकी आज के सन्दर्भ में विवेचना करना अत्यन्त आवश्यक है। यह खासकर ग्रामीण परिवेश के सन्दर्भ में तो और भी आवश्यक है क्योंकि भारत गाँवों में बसता है और ग्रामीणों की त्रासदियों से हम शहरी अछूते नहीं रह सकते।

एक विकलांग व्यक्ति का जीवन कितना कष्टप्रद होता है यह कमोबेश सभी को पता है। शारीरिक विकलांगता वह अभिशाप है जिससे केवल वह व्यक्ति ही नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार भी प्रभावित होता है।

ऐसे में जब गाॅंव में बसने वाले किसी परिवार के सारे लोग सामूहिक विकलांगता के शिकार हो जाएँ तो उस गाॅंव की क्या दुर्दशा होगी यह कल्पना से भी परे है।

लेकिन जब उन्हें यह पता लगता है कि फ्लोरोसिस नामक यह विकलांगता उन्हें जीवनदायिनी जल जिसमें फ्लोराइड मानक सीमा से अधिक घुलनशील है, को पेयजल के रूप में व्यवहार करने के कारण प्राप्त हुई है तो उनके मानसिक सन्तापोें का अन्दाजा लगाना और भी कठिन हो जाता है।

साधारण पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने पर मानव शरीर में फ्लोराइड अस्थियों से हाइड्रॉक्साइड को हटाकर खुद जमा हो जाता है और अस्थि फ्लोरोसिस को जन्म देता है।

मानव शरीर में फ्लोराइड पेयजल के अतिरिक्त मुख्यतः भोजन, वायु, दवाइयों तथा प्रसाधनों के द्वारा भी प्रवेश करता है। लेकिन लगभग 60 प्रतिशत पेयजल द्वारा ही शरीर में प्रविष्ट होता है।

हमारे देश में यह देखा गया है कि फ्लोराइड चाय, फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट और अत्यधिक घुलनशील फ्लोराइड युक्त पेयजल के द्वारा मानव शरीर में प्रविष्ट होता है। शीतल पेयों द्वारा भी फ्लोराइड हमारे शरीर में पहुँचता है।

अब तक यह माना जाता रहा था कि फ्लोरोसिस शारीरिक रूप से विकसित युवाओं तथा प्रौढ़ों में ही अधिक होता है। लेकिन यह देखा गया है कि 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों में यह अधिक घातक है क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चों का शरीर बढ़ रहा होता है और इस उम्र में उनके शरीर के ऊतक भी कोमल ही होते हैं जिससे फ्लोरोसिस जल्द ही आक्रमण करके शरीर में घुसपैठ कर लेता है।

गर्भस्थ शिशु की माँ अगर फ्लोराइड युक्त जल का सेवन करती है तो गर्भ में बढ़ रहे शिशु के लिये बहुत ही हानिकारक होता है। आमतौर पर बच्चे 2-3 वर्ष की उम्र पार करते-करते अपंग और रोगग्रस्त हो जाते हैं।

शुरू में पैर की हड्डी चौकोर एवं चपटी हो जाती है और बाद में बच्चा लाचार होकर ही रह जाता है। जवान पुरूष और महिलाएॅं भी 35 से 40 वर्ष की उम्र तक पहुॅंचते-पहुॅंचते बुढ़ापे का अनुभव करने लगते हैं। उनकी कमर झुकने लगती है और शारीरिक शक्ति में ह्रास होने लगता है।

हाथ-पैर विकृत हो जाते हैं, दाँत पीले पड़ने लगते हैं और मसूड़े गलने लगते हैं। दूसरे किसी गाॅंव से ब्याह कर लाई गई बहुएँ भी फ्लोरोसिस प्रभावित गाॅंव में इस रोग के कुप्रभाव से अछूती नहीं रह पाती हैं। अपंगता का कुप्रभाव महिलाओं पर माँ बनने के बाद ज्यादा दिखने लगता है।

फ्लोरोसिस से प्रभावित व्यक्ति सामाजिक कार्य-कलापों में बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले पाता है क्योंकि उसमें कुंठा जागृत हो जाती है और वह हीन भावना से ग्रसित हो जाता है।

तालिका -1 : भोज्य पदार्थों में फ्लोराइड की उपलब्ध मात्रा

भोज्य पदार्थ

फ्लोराइड की मात्रा उपलब्ध (MG/KG)

भोज्य पदार्थ

फ्लोराइड की मात्रा उपलब्ध (MG/KG)

भोज्य पदार्थ

फ्लोराइड की मात्रा उपलब्ध (MG/KG)

गेहूँ

4.6

पुदीना

4

लहसुन

5.0

चावल

5.9

आलू

2.8

अदरक

2.0

चना

2.5

गाजर

4.1

हल्दी

3.3

सोयाबीन

4.0

केला

2.9

मटन

3.0-3.5

बन्दगोभी

3.3

आम

3.2

बीफ

4.0-5.0

टमाटर

3.4

सेब

5.7

पोर्क

3.0-5

ककड़ी

4.1

अमरुद

5.1

मछली

1.0-6.5

भिंडी

4.0

चाय

60-112

नारियल पानी

0.32-0.6

पालक साग

20

धनिया

2.3

बैंगन

1.2

    

सी फूड

326.0

तालिका - 2 : फ्लोराइड के विभिन्न घुलनशील मात्रा के कारण मानव शरीर पर पड़ने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी असर तथा वातावरण में अन्य जैविक प्रभाव को दर्शाया गया है।
(स्रोत : होज एवं स्मिथ, 1965 तथा WHO 1970)

फ्लोरोसिस : प्रकार, प्रभाव और सामाजिक दुष्परिणाम

1. दंत फ्लोरोसिस :
तालिका - 2 : फ्लोराइड की घुलनशील मात्रा तथा इसके जैविक प्रभाव

फ्लोराइड की घुलनशील मात्रा (मिलीग्राम/लीटर)

माध्यम

जैविक प्रभाव (Biological Effects)

0.002

वायु

वनस्पतियों पर गम्भीर प्रभाव

1.0

जल

दन्त क्षय को रोकने में सहायक

>=2.0

जल

दन्त इनेमल पर विपरीत प्रभाव के कारण धब्बे पड़ना

>= 8

जल

अस्थियों तथा स्नायु जनित रोग

>= 50

आहार तथा जल

थायराइड ग्रन्थि में बदलाव

>= 100

आहार तथा जल

मानव शरीर के विकास पर विपरीत असर

>= 120

आहार तथा जल

किडनी पर गम्भीर असर

>= 200

आहार तथा जल

जीवन के लिये खतरा

2. अस्थि फ्लोरोसिस :
3. गैर-अस्थि फ्लोरोसिस :

फ्लोरोसिस से बचने के उपाय

तालिका - 3 : भारतीय राज्य फ्लोरोसिस की चपेट में (स्रोत यूनिसेफ 1999, सुशीला- 1999)

भारतीय राज्य

प्रभावित जिलों की संख्या

फ्लोरोसिस प्रभावित जिलों के नाम

आन्ध प्रदेश

16

कुडप्पा, हैदराबाद, कृष्णा, मेडक, वारंगल, अनन्तपुर, करनूल, करीमनगर, नालगोंडा, प्रकाशम, चित्तूर, गुंटूर, खम्मम, महबूब नगर, नेल्लौर, रंगारेड्डी,

असम

3

कार्बी आंगलूंग, नौगाँव, कामरूप

बिहार

6

डाल्टनगंज, गया, रोहतास, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण, मुंगेर

छत्तीसगढ़

2

दुर्ग, दंतेवाड़ा

दिल्ली

7

पश्चिम जोन, उत्तर-पश्चिम जोन, पू्र्वी जोन, उत्तर पूर्वी जोन, मध्य जोन, दक्षिणी जोन, दक्षिण-पश्चिम जोन

गुजरात

18

अहमदाबाद, बनासगांठा, भुज, जुनागढ़ मेहसाणा, सूरत, बलसाड़, अमरही, भरुच, गाँधीनगर, पंचमहल, राजकोट, सुरेन्द्र नगर, भावनगर, जामनगर, खेड़ा, साबरकांठा, बड़ौदा

हरियाणा

12

रेवाड़ी, फरीदाबाद, करनाल, सोनीपत, जिंद, गुड़गांव, महेन्द्रगढ़, रोहतक, करुक्षेत्र, कैथल, भिवानी, सिरसा

जम्मू कश्मीर

1

डोडा

झारखण्ड

4

पाकुर, पलामू, साहेबगंज, गिरीडिह

कर्नाटक

16

धारवाड़, गंडक, वेल्लारी, वेलकगाँम, रायचुर, बिजापुर, गुलबर्गा, चित्रदुर्ग, तुमकुर, चिकमंगलूर, मंडिया, बंगलुरु (ग्रामीण क्षेत्र), मैसूर, मंगलौर, सिमोगा, कोलार

केरल

3

पालघाट, ऐलेप्पी, बावनपुरम

मध्य प्रदेश

14

शिवपुरी, झाबुआ, मंडला, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, धार, विदिशा, सिवनी, सिहोर, रायसेन, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, ग्वालियर

महाराष्ट्र

10

भण्डारा, चन्द्रपुर, बुलधाना, जलगाँव, नागपुर, अकोला, अमरावती, नांदेड़, सोलापुर, यवतमाल

उड़िसा

18

अंगुल, धानकनाल, बौद्ध, नयागढ़, पुरी, बालासोर, भद्रक, बालंगीर, गंजम, जगत सिंह पुर, जाजपुर, कालाहांडी, केवनझार, खुर्दा, कोरापुर, मयुरभंज, पुलवानी, रायगढ़

पंजाब

17

मांसा, फरीदकोट, भटिंडा, मुक्तसर, मोगा, संगरूर, फीरोजपुर, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, रोपण, जालंधर, फतेहगढ़ साहिब, कपूरथला, गुरदासपुर, होशियारपुर, नावांशहर

राजस्थान

32

भिलवाड़ा, अजमेर, सिरोही, टोंकनगर, जालौर, जोधपुर, सवाईमाधोपुर, दौसा, जयपुर, सीकर, अलवर, चुरू, भरतपुर, झुंझनु, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, राजसमन्द, बांसपाड़ा, डुंगरपुर, बिकानेर, धौलपुर, करौली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, कोटा, बुंदी, झालावाड़, गंगानगर, बाटन, हनुमानगढ़,

तमिलनाडु

8

धर्मपुरी, इरोड, सालेम, कोयम्बटुर, तिरुचिरापल्ली, मदुरै, बेल्लौर, विरुधनगर,

उत्तर प्रदेश

7

वाराणसी, कन्नौज, प्रतापगढ़, फरुखाबाद, रायबरेली, उन्नाव, सोनभद्र

पश्चिम बंगाल

4

वीरभूस, बांकुड़ा, वर्धमान, पुरुलिया

अत्यधिक फ्लोराइड को मानव शरीर में जाने से रोकना

शशिरंजन कुमार
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