१२ वर्ष का शम्भू कैमरे को देखकर पत्थर उठा लेता है, क्यूँ न उठाये वो पत्थर? सत्ता की शर्मनाक चुप्पी, प्रशासन की बदनीयती और जनप्रतिनिधियों की कफ़न खसोटी का असर कुछ तो होना था| गनीमत है कि अति नक्सल प्रभावित इस जनपद का रहने वाला अपाहिज शम्भू बन्दूक नहीं उठा रहा| सिर्फ शम्भू ही नहीं जिंदगी को घिसट-घिसट कर चलना सोनभद्र के उन हजारों, स्त्री, पुरुषों की नियति है जिन्हें फ्लोरोसिस का कहर तिल-तिल कर मार रहा है।