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बिलासपुर जिले की भौतिक पृष्ठभूमि (Geographical background of Bilaspur district)

Author : श्रीमती कावेरी दामड़कर

बिलासपुर जिले का भौतिक पृष्ठभूमि : स्थिति एवं विस्तार

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भौतिक पृष्ठभूमि

भू-वैज्ञानिक संरचना

आर्कियन शैल समूह

चिल्पी घाट क्रम

धारवाड़ क्रम

कड़प्पा शैल समूह

गोंडवाना शैल समूह

लमेटा संस्तर

दक्कन ट्रेप

लेटेराइट

कॉप

धरातलीय स्वरूप

1. उत्तरी पर्वतीय एवं पठारी प्रदेश



उत्तरी पर्वतीय एवं पठारी क्षेत्र अपक्षयित एवं वलित ग्रेनाइट एवं नीस चट्टानों से निर्मित हैं। जिले के प्रमुख नदियों का उद्गम यही है। इस प्रदेश को निम्नलिखित उपप्रदेशों में बाँटा जा सकता है -

अ. मैकल श्रेणी
ब. पेण्ड्रा का पठार
स. लोरमी का पठार
द. हसदो-रामपुर बेसिन
इ. छुरी की पहाड़ियाँ, एवं
फ. कोरबा बेसिन

अ. मैकल श्रेणी

ब. पेण्ड्रा का पठार

स. लोरमी का पठार

द. हसदो-रापुर बेसिन

इ. छुरी की पहाड़ियाँ

फ. कोरबा बेसिन

2. दक्षिणी मैदानी प्रदेश

ब. बिलासपुर का मैदान

1. पूर्वी बिलासपुर का मैदान

2. पश्चिमी बिलासपुर का मैदान

अपवाह

‘‘जल विभाज्य रेखा’’

गुजरती है। इस जल विभाज्य का उत्तरी भाग सोन एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित हैं (वर्मा, 1961, 19)। दक्षिणी भाग महानदी एवं उसकी सहायक नदी क्रम से अपवाहित हैं। सोन नदी क्रम उत्तर की ओर तथा शेष सभी नदियों का प्रवाह क्रम दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व की ओर है। महानदी एवं शिवनाथ नदियाँ पूर्व की ओर प्रवाहित होती है एवं जिले की दक्षिणी सीमा का निर्धारण करती हैं। मैकल श्रेणी का दक्षिणी भाग (पश्चिमी सीमा रेखा के साथ) महानदी प्रवाह क्रम को नर्मदा प्रवाह क्रम से अलग करता है।

शिवनाथ एवं उसकी सहायक नदियाँ पश्चिम से पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। फोंक, हॉफ, टेसुओं, आगर, मनियारी, अरपा, खारून एवं लीलागर प्रमुख नदियाँ हैं, जो शिवनाथ में मिलती हैं। प्रथम छ: की उत्पत्ति मैकल श्रेणी से हुई है। शेष का उद्गम मध्यवर्ती पठारी क्षेत्र है। शिवनाथ एवं उसकी सहायक नदियों के अतिरिक्त जो नदियाँ महानदी में मिलती हैं, उनमें प्रमुख हसदो, बोराई मांद (रायगढ़) हैं, जो महानदी के उत्तरी तट पर उससे मिलती है। जिले की अधिकांश नदियाँ प्रौढ़ावस्था में हैं एवं उनका प्रवाह मंद हैं।

महानदी

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शिवनाथ नदी

हसदो नदी

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बोराई नदी

मांद नदी

अरपा नदी

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लीलागर नदी

मनियारी नदी

हॉफ नदी

सोन नदी

मिट्टी

‘‘क्षेत्र के गहन सर्वेक्षण का कार्य अभी नहीं हुआ है, तथापि मिट्टी के वर्गीकरण के अनेक उपक्रम विभिन्न शिक्षाविदों के द्वारा अपनाये गये हैं।’’

अखिल भारतीय मिट्टी एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण संस्थान के अनुसार जिले में लाल एवं पीली मिट्टी का बाहुल्य है। अन्य मिट्टियों में लेटेराइट, काली एवं लाल बलुई एवं लाल दोमट मिट्टी प्रमुख है।

गोविंद राजन एवं गोपाल राव (1971, 28) के अनुसार जिले की मिट्टियाँ लाल एवं पीली मिट्टी का प्रकार है। राय चौधरी (19, 27) के अनुसार जिले में मुख्यत: लाल एवं पीली मिट्टी ही पायी जाती है।

सामान्य रूप से जिले की मिट्टियों को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है -

1. गहरी मृतिका मिट्टी
2. पीली बलुई दोमट मिट्टी
3. मिश्रित मिट्टी (गहरी एवं पीली मृतिका बलुई मिट्टी)।

स्थानीय रूप से इन मिट्टियों को क्रमश: कन्हार मिट्टी, मटासी मिट्टी एवं डोरसा मिट्टी के नामों से जाना जाता है। जिले की अन्य मिट्टियों में भाठा मिट्टी तथा कछारी मिट्टी है।

1. कन्हारी मिट्टी

जलधारण क्षमता

उपलब्ध जलधारण क्षमता

विस्तार

मटासी मिट्टी

जल धारण क्षमता

विस्तार

डोरसा मिट्टी

जल धारण क्षमता

विस्तार

भाठा मिट्टी

विस्तार

कछारी मिट्टी

जलवायु

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शीत ऋतु

तापमान

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वायुदाब एवं पवनें

वर्षा

ग्रीष्म ऋतु

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वर्षाऋतु

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वर्षा

वनस्पति

साल वन

मिश्रित वन

बांस के वन

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