देश के विभिन्न भागों में बढ़ती माँग की पूर्ति करने के लिए भूजल का दोहन किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप भौमजल स्तर में गिरावट आ रही है इस कारण भविष्य में जल उपलब्धता का गंभीर संकट पैदा हो सकता है। भूजल संसाधनों की प्रक्रिया को समझने एवं भविष्य की सम्भावित परिस्थितियों में क्या हो सकता है यह जानने के लिए भूजल प्रतिदर्शों का बड़े पैमाने पर प्रयोग हो रहा है। भूजल प्रवाह की जटिल समस्याओं पर काबू पाने के लिए ऐसी तकनीकें विकसित करने की आवश्यकता है जो इन समस्याओं का अर्थपूर्ण समाधान प्रदान कर सके। आसान संगणन तकनीकें (soft computing techniques) जल वैज्ञानिक एवं जल संसाधन तंत्र के प्रयोग में केवल जलविज्ञानीय चर राशियों के क्रम रहित होने के कारण ही महत्वपूर्ण नहीं हैं बल्कि निर्णय लेने में अशुद्धता, वस्तुपरखता एवं अस्पष्टता तथा पर्याप्त आंकड़ों की कमी के कारण भी है।
फज्जी लॉजिक तकनीक में इस प्रकार की अनिश्चितता का अच्छे तरीके से ध्यान रखा गया है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले हेतु प्रतिदर्श विकसित करने के लिए नई बढ़ती हुई तकनीकों जैसे कि न्यूरो-फज्जी तकनीक एवं ए.एन.एन. का प्रयोग किया गया है। जलविज्ञानीय भविष्य वाणियों में न्यूरो फज्जी तकनीकों का बहुत अधिक प्रयोग किया जा रहा है। जादेह द्वारा विकसित फज्जी सेट की परिकल्पना समतुल्य संबंधों को भाषा की दृष्टि से निम्न, मध्यम एवं उच्च रूप में प्रयोग करने का अवसर प्रदान करती है।
रमा मेहता, विपिन कुमार, कुमार गर्वित एवं नरेश सैनी
भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012
सारणी 1- बदायूँ जिले की पाँचों तहसीलों के लिये केंद्र भार, औसत वार्षिक वर्षा एवं बहुभुज क्षेत्रफल मौसम केन्द्र बहुभुज क्षेत्रफल | |||
मौसम केन्द्र
| बहुभुज क्षेत्रफल | औसत वार्षिक वर्षा | केन्द्र भार |
(वर्ग कि.मी.) | (मि.मी.) | Wi | |
गुन्नौर | 1003.95 | 869.36 | 0.1855 |
बिसौली | 1238.55 | 695.18 | 0.2289 |
सहसवान | 947.12 | 640.41 | 0.1750 |
बदायूँ | 1271.11 | 752.03 | 0.2349 |
दातागंज | 949.95 | 760.05 | 0.1755 |
सारणी 2- ANFIS क्लस्टर मॉडल के ट्रेनिंग स्ट्रक्चर | ||||
| प्रशिक्षण | चेकिंग | संख्या | |
त्रुटि | त्रुटि |
| ||
एस.सी.एम.एम. | हाइब्रिड ऑप्टीमाइजेशन | 0.00145 | 0.24518 | 28/2 |
एस.सी.एम.एन.एम. | -तदैव- | 0.0012 | 0.1321 | 22/2 |
सारणी 3 वैलिडेशन डाटा द्वारा मॉडल की कार्य निष्पादन सूचियाँ | |||
क्रम संख्या | कार्य निष्पादन सूची | मानसून काल एस.सी.एम.एम. | नॉन-मानसून काल एस.सी.एम.एन.एम. |
1 | आर.एम.एस.ई. | 0.0251 | 0.023 |
2 | प्रतिगमन गुणांक | 0.9496 | 0.9172 |
3 | वेरक्स | 98.495 | 98.65 |
संदर्भ
1. मेयर एच एवं डाण्डी जी, न्यूरल नेटवर्क द्वारा जल संसाधन चरों की भविष्यवाणीः प्रतिदर्श एवं उनके अनुप्रयोगों की एक समीक्षा, एनवायरनमेंट मॉडल सॉफ्टवेयर 15 (1), (2000) 101-124.
2. जादेह एल ए, फज्जी सैट सूचना एवं कंट्रोल 8, (1965) 338-353.
3. कुमार वी के एवं मेहता रमा, फज्जी डिस्चार्ज द्वारा औद्योगिक कूड़े का वातावरण पर प्रभाव, नेशनल वर्कशॉप जी.बी. पंत यूनवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एवं टेक्नोलॉजी, पंतनगर, नवम्बर 28-दिसम्बर 02, 2005.
4. मेहता आर एवं शरद जैन, मल्टी-पर्पज, जलाशय के इष्टतम कार्यों के लिये न्यूरों फज्जी तकनीक का इस्तेमाल इण्टरनेशनल जर्नल ऑफ वाटर रिर्सोंसेज मैनेजमेंट, 23 (2009) 509-529.
5. मेहता आर, शरद जैन एवं अरोरा मनोहर, सतलुज नदी के लिये रेनफॉल-रनऑफ मॉडलिंग-न्यूरो फज्जी एप्रोच द्वारा, राष्ट्रीय संगोष्ठी नई दिल्ली, 28-29 अगस्त, 2008.
6. मौसवी एस जे, पोनमबालम के एवं कैरी एफ, डायनामिक प्रोग्रामिंग द्वारा फज्जी नियमों का इस्तेमाल करते हुए जलाशयों की कार्यविधियाँ, जर्नल ऑफ वाटर रिसोर्सेज मैनेजमेंट, 19 (2005) 655-672.
7. प्रियोनो ए, रिदवान एम एवं अन्य, सब्ट्रेक्टिव क्लस्टरिंग द्वारा फज्जी नियमों का निर्माण, जर्नल ऑफ टेक्नोलॉजी 43 डी. (2005) 143-153.
8. नैश जे ई एवं सतक्लीफ जे वी, कॉन्सेप्चुअल मॉडल द्वारा रीवर फ्लो फोरकास्टिंग जर्नल ऑफ हाइड्रोलॉजी, 10 (1970) 282-290.
रमा मेहता, विपिन कुमार, कुमार गर्वित एवं नरेश सैनी, (Rama Mehta, Vipin Kumar kumar Garvi & Naresh Saini), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की, (National Institute of Hydrology, Roorkee), एन.आई.टी. दुर्गापुर, (NIT, Durgapur)
भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012
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