बड़ा तालाब भोज वेटलैंड के 1100 हेक्टेयर क्षेत्रफल को वानिकी वन मंडल को दिए जाने के कैबिनेट के निर्णय के बावजूद अब तक इसे लेकर कोई नोटिफिकेशन नहीं हुआ है। जून में निर्णय हुआ था जिसके तहत भोज वेटलैंड की जमीन को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से बचाते हुए यहां की ग्रीनरी को बरकरार रख कर नई ग्रीनरी विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसको लेकर गंभीरता दिखाते हुए नोटिफिकेशन जारी होता तो वानिकी वन मंडल यहां बारिश में नए पौधे लगाने की कवायद कर सकता था। गौरतलब है कि भोज वेटलैंड के तहत बड़ा तालाब और उसके कैचमेंट में किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता। प्रोजेक्ट के तहत तालाब के बफर जोन में 17 लाख पेड़ विकसित किए गए थे। बीते सालों में यहां काफी अतिक्रमण कर ग्रीनरी को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें हुई है। यहां निजी से लेकर सरकारी एजेंसियों तक ने निर्माण किया है।
ये वन विभाग के पास जाने और यहां फॉरेस्ट एक्ट लागू होने से इस जमीन पर किसी तरह की गतिविधि पूरी तरह बंद हो जाएगी। प्रशासन की ओर से बड़ा तालाब यानि भोज वेटलैंड किनारे निर्माण पर सर्वे में 300 से अधिक अवैध निर्माण चिन्हित किए गए थे। इन्हें हटाकर वेटलैंड को संरक्षित करने की दिशा में बेहतर काम हो पाएगा।
एनजीटी के आदेश एवं कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश के बाद ग्रीन बेल्ट एरिया से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही जिला प्रशासन द्वारा प्रारंभ की गई। शनिवार को आशाराम बापू चौराहा से आईटी पार्क बेरागढ़, 11 मिल बायपास, नीलबड़, बरखेड़ा नाथू रोड, खजूरी बायपास और साकेत नगर सेक्टर में ग्रीन बेल्ट एरिया से अतिक्रमण हटाने का कार्य संबंधित एसडीएम, पुलिस एवं नगर निगम के द्वारा किया गया।
इस दौरान ग्रीन बेल्ट से हाथठेले लगानेवाले फल, सब्जी और खाद्य पदार्थो के विक्रेताओं को सबसे पहले हटाया गया है। इस कड़ी में अभी ग्रीन बेल्ट एरिया से पक्के निर्माण हटाए जाना बाकी है। बता दें कलेक्टर के निर्देश के बाद निगम अमले ने 600 से ज्यादा अतिक्रमण चिन्हित किए थे जिसके बाद यह कार्रवाई शुरु की गई है।
इस मामले में एनजीटी ने केरवा, कलियसोत और बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया सहित ग्रीन बेल्ट में किए गए अतिक्रमण को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी जिसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने इसी सप्ताह अधिकारियों की बैठक बुलाकर इस मामले में सख्ती बरतने को कहा था। इस दौरान अतिक्रमण चिन्हित करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, पीएचई और लोक संसाधन विभाग सहित वन विभाग के अमले को दी गई थी जिसके बाद अब अतिक्रमण चिन्हित करके इन पर कार्रवाई शुरु कर दी गई है। बता दें अभी जलाशयों के पास हुए पक्के निर्माण तोड़ने की कार्रवाई भी होना है।
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