दक्षिण पश्चिम मानसून 2020 की पहली छमाही के दौरान भारत में 453.3 मिमी वर्षा हुई थी, जो सामान्य अवधि में 452.2 मिमी की सामान्य वर्षा से सिर्फ 1.1 मिमी अधिक थी। जुलाई में सामान्य वर्षा 285.3 मिमी होती है, लेकिन इस बार 9.9 प्रतिशत कम, यानि 257.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसने जून में हुई 18 प्रतिशत अधिशेष वर्षा को भी घटा दिया। हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग विभिन्न राज्यों, उप प्रभागों और नदी घाटियों के लिए वर्षा के मासिक आंकड़े प्रदान नहीं करता है, जो पिछले साल की सामान्य वर्षा और वर्षा के संबंध में तुलना के साथ होना चाहिए।
जुलाई 2020 में कितनी बारिश हुई, ये आंकड़ों में जानने के लिए इस लेख के साथ दिए गए जून 2020 की बारिश के आंकड़ों का उपयोग करना होगा। तो वहीं जून-जुलाई 2020 में बारिश के जिलेवार आंकड़ें इस पीडीएफ में दिए गए हैं - आईएमडी के अनुसार 1 जून से 31 जुलाई 2020 तक जनपदवार वर्षा।
ऊपर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का मानचित्र दिखाया गया है, जिसमें जून-जुलाई 2020 में राज्यवार वर्षा को दर्शाया गया है। मानचित्र के अनुसार सिक्किम ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां मानसून के पहले दो महीनों में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई। सिक्किम में 89 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि उत्तर में लद्दाख एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है, जहां बारिश की मात्रा 61 प्रतिशत (-61 प्रतिशत) कम रही। छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (मेघालय, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुडुचेरी) में 20 से 59 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य बारिश हुई (+19 से -19 प्रतिशत) और दस राज्यों में 20 से 59 प्रतिशत (- 20 से -59 प्रतिशत) की कमी देखी गई।
जैसा कि ऊपर भारतीय मौसम विभाग के मैप में देखा जा सकता है कि आईएमडी के मौसम संबंधी 36 सब-डिवीजन हैं, लेकिन सब-डिवीजनों को बनाने के तरीके में पर्याप्त दृढ़ता व कठोरता के अभाव के कारण इन्हें सुधारने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो कम वर्षा वाला सोलापुर और उच्च वर्षा वाला कोल्हापुर क्षेत्र दोनों ही मध्य महाराष्ट्र में शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान केवल एक सब-डिवीजन में बड़ी अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई थी। दिलचस्प बात ये है कि ‘रायलसीमा’ सूखा प्रभावित क्षेत्र है। यहां सामान्य बारिश की तुलना में 119 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई, जो कि एक बहुत ही अच्छी वितरित वर्षा है। तो वहीं दस अन्य सब-डिवीजन में अधिक वर्षा (20-59 प्रतिशत), 18 में सामान्य (+19 से -19 प्रतिशत) और सात में कम बारिश (-20 से -59 प्रतिशत) हुई।
ऊपर दिए गए मानचित्र में देखा जा सकता है कि आईएमडी नदी बेसिनवार वर्षा के आंकड़ें भी प्रदान करता है। कुछ नदी घाटियों के लिए इस तरह की रिपोर्ट के साथ एक समस्या यह है कि मानचित्र पर जगह की कमी के कारण आईएमडी वर्षा की जानकारी शामिल करने में असमर्थ है, इसलिए आईएमडी को ये जानकारी तालिका के रूप में भी प्रदान करनी चाहिए। दूसरी तरफ, नदी घाटियों में से कुछ समग्र नदी घाटियाँ हैं, लेकिन अच्छा होगा यदि आईएमडी इन्हें नदी घाटियों में बांट दे। बड़े और बहुत महत्वपूर्ण ब्रह्मपुत्र बेसिन के मामले में आईएमडी केवल निचले और ऊपरी ब्रह्मपुत्र बेसिन के लिए वर्षा के आंकड़ें प्रदान करता है, जो स्पष्ट रूप से अपर्याप्त हैं। सुबनसिरी, सियांग, लोहित, दिबांग, तवांग, कामेंग, बेकी, तीस्ता, पगलाड़िया, मानस, संकौश, उत्तरी सहायक नदियों और धनसिरी, धाओरी, नाओ देहिंग, बुरही देहिंग, दिक्खो, कोपिली सहित व्यक्तिगत सब-बेसिन के लिए वर्षा के आंकड़ें दक्षिणी सहायक नदियों के बीच या दूसरों के बीच अलग से दिए जा सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जून जुलाई 2020 के दौरान कम से कम आठ नदी घाटियों में काफी अधिक बारिश हुई थी, जिनमें कोसी, किंचियांग, ऊपरी गोदावरी, पूर्व की तरफ बहने वाली नदियाँ - गोदावरी से कृष्णा, तुंगभद्रा, पेन्नार, पेन्नार-पलार और एक और उप बेसिन है, जिसका नाम जगह की कमी के कारण आईएमडी ने नहीं दिखाया। 10 उप बेसिनों में अतिरिक्त, 13 बेसिनों में कमी, 2 के पास कोई डेटा नहीं था और बाकी में सामान्य वर्षा हुई थी।
जैसा कि नीचे दिए गए मानचित्र में देखा जा सकता है कि उत्तरी पश्चिमी दिल्ली, जहां SANDRP स्थित है, में होने वाली 223.4 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 67 प्रतिशत कम (73.1 मिमी) बारिश हुई थी।
भारत को उम्मीद है कि बारिश के अगले दो महीने बेहतर होंगे और अधिक वितरित बारिश होगी तथा बाढ़ कम आएगी।