भदोही से वारणसी तक करीब 27 किलोमीटर लंबी मटुका नदी को कब्‍जा मुक्‍त करके पुनर्जीवित किया गया। 
नदी और तालाब

भदोही में अस्तित्व खो चुकी मटुका नदी में फिर हिलोरें मार रहीं पानी की लहरें

भदोही से वाराणसी तक अवैध कब्जे हटाकर 27 किलोमीटर लंबी नदी को पुनर्जीवित किया, अब किसानों को मिल रही सिंचाई की सुविधा, नदी का जलस्‍तर बनाए रखने के लिए बनाए जा रहे चेकडैम और ड्रॉप स्टिल वेज

Author : कौस्‍तुभ उपाध्‍याय

उत्‍तर प्रदेश के भदोही जिले से निकल कर वाराणसी में तक 27 किलोमीटर लंबी मटुका नदी को पुनर्जीवित किया गया है। इसका सीधा लाभ स्‍थानीय किसानों को मिल रहा है, जो अब एक बार फिर से इस नदी के पानी से अपने खोतों की सिंचाई कर रहे हैं। सेवापुरी क्षेत्र के 26 ग्राम पंचायत क्षेत्रों के सैकड़ों किसानों को इसका लाभ भी मिलना शुरू हो गया है। नदी में जल प्रबंधन के लिए सात चेकडैम और 14 ड्रॉप स्टिल वेज बनाए जा रहे हैं। चेकडैम में जहां बारिश का पानी रुकेगा, तो ड्रॉप स्टिल वेज से जमीन के नीचे पानी जाएगा। यह इस क्षेत्र का जलस्तर बढ़ाने में मददगार साबित होगा।

इस नदी पर कई स्थानों पर लोगों ने कब्जा कर लिया था। जगह-जगह नदी को मिट्टी से पाटकर लोगों ने खेती शुरू दी थी। कई स्थानों पर तो कूड़े के ढेर से ये नदी पट गई थी। ऐसे में नदी को फिर से जीवित करने का काम मुश्किल हो गया था। इसके लिए पुराना मानचित्र निकाल कर नदी के रास्‍ते को चिन्हित किया गया। प्रशासन ने टीम लगाकर कब्जे हटवाए। जेसीबी और मनरेगा मजदूरों के जरिए कब्‍जे वाली जगहों पर खुदाई कराई गई। अब भी कुछ स्थानों पर खुदाई का काम चल रहा है।

नदी में पानी का बहाव फिर से शुरू होने के बाद ग्राम पंचायत दिलावरपुर और भीषमपुर अन्य कई ग्राम पंचायतों के किसानों ने इसी नदी के पानी से गेहूं के फसलों की सिंचाई की। इस नदी में बारिश का पांच हजार कैचमेट जल भी जाएगा। यानी कि करीब 20 किमी के ढलान तक के हिस्से में बारिश का पानी इसमें पहुंचेगा। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार मानसून अच्‍छा रहेगा। ऐसे में मटुका नदी में बारिश का पानी भरकर इसके जलस्‍तर को काफी बेहतर बना देगा। नदी भदोही जिले से वाराणसी में प्रवेश करती है। पर्यावरणविदों ने इसे एक अच्छी पहल बताते हुए उम्‍मीद जताई है कि यह प्रयास जल संरक्षण और भूगर्भ जल के स्तर को बनाए रखने में कारगर साबित होगा। नदी के फिर से बहने से आस पास के गांवों का जल स्तर भी बढ़ेगा। इससे किसानों, मछुआरों सहित इन गांव की बड़ी आबादी को इसका फायदा मिलेगा।

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