शहर के नदी-तालाबों का अब सही-सही आकलन होगा। इसके लिए पहले मैपिंग की जाएगी और फिर इंजीनियरिंग छात्रों से भौतिक सत्यापन करवाया जाएगा। इसके बाद नियमानुसार आगे की कार्रवाई होगी। मैपिंग प्रयोग के लिए पीपल्याहाना तालाब का नक्शा समाजसेवी किशोर कोडवानी ने संभागायुक्त को सौंप दिया है।एक तरफ जहां नदी-तालाब संरक्षण और शुद्धिकरण के लिए लम्बे समय से समाजसेवी किशोर कोडवानी लड़ाई लड़ रहें हैं, वहीं नदी-तालाब को भरने और कब्जे हटाने के साथ सीमांकन को लेकर संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी भी मुहिम चला रहे हैं।
पिछले दिनों नदी-तालाबों को लेकर बैठक भी हुई। इसमें कई बिन्दुओं पर काम करने का फैसला हुआ। इसमें से एक है, नदी-तालाबों का सही-सही आकलन करना। इसको लेकर अब मैपिंग की जाएगी। जिससे नदी, उप नदियों, सहायक नदियों की आजस्थिति व इनसे भरने वाले तालाबों का जल ग्रहण क्षेत्र अधिकतम जल भराव क्षेत्र व जल क्षमता की स्थिति स्पष्ट होगी। मैपिंग के लिए पाँच लेयर का समायोजन किया जा रहा है, ताकि जलाशयों की स्थिति सामने आ सके। मैपिंग के पश्चात इंजीनियरिंग कॉलेज छात्रों से भौतिक सत्यापन करवाएंगे। इसके लिए काडवानी ने पीपल्याहाना तालाब का नक्शा मार्क करके संभागायुक्त को प्रस्तुत कर दिया हैं। अब इसके आधार पर जल्द ही आगे की कार्रवाई होगी।
कोड़वानी का कहना है कि नदी-तालाबों की सुपर इंपोज मैपिंग के लिए जो पांच लेयर तय की गई है, उनमें से राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी हो सकती है। गूगल मेप अर्थ बताता है कि जमीन आज किस स्थिति में है। टोपो शेट और कटूर बताता है कि नदी, तालाबों, पहाड़ी जमीन की ऊंचाई व ढलाव क्या है? कहाँ से नदी निकली और कहाँ जा रही है। कहाँ पर तालाब बना हुआ और तालाब का क्षेत्रफल कितना है। राह पूरी तरह से स्पष्ट रहता है। कर्क रेखा और भूमध्य रेखा से निकलती है। नदी-तालाब का कौन-सा क्षेत्र कितना है। इसको कोई भी कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकता। कारण वैज्ञानिक मापदंड होने के साथ ब्रिटिशकाल का रिकॉर्ड होने से इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है।
नदी-तालाबों की सुपर इंपोज मैपिंग के लिए पाँच लेयर का समायोजन किया जाएगा। इसमें पहली गूगल अर्थ मैप, दूसरी कंटूर यानी भारत सरकार भू-सर्वेक्षण मैप, तीसरी टोपोशीट मतलब धरती की ऊंचाई व ढलान के लिए, चौथी वॉटर शेड यानी जल संरचना नक्शा और पांचवीं राजस्व रिकॉर्ड, जमीन किसकी व किस उपयोग की है। नदी-तालाबों का सही आकलन करने के लिए ही इन पाँचों लेयर को मिलाकर मैपिंग की जा रही है।
गूगल अर्थ, कंटूर, टोपो सीट, वॉटर शेड और राजस्व मैप की लेयर को एक दूसरे के ऊपर दर्शाकर सुपर इंपोज कर मैप तैयार किया जाएगा। इसके बाद तयहोगी कि किस तालाब और नदियों की आज क्या स्थिति है ? कहाँ पर अतिक्रमण है और कहाँ पर भराव कर कब्जे हो गए हैं। पाँचों मैप में से तीन कंटूर वॉटर रोड और गूगल मैप मिल गया है। दो मैप राजस्व और टोपो शीट मिलना बाकी है। पाँचों के मिलने के बाद ही नदी-तालाबों की सही स्थिति मालूम पड़ेगी।
प्रयोग के लिए संभागायुक्त त्रिपाठी को सौंपे गए पीपल्याहान तालाब के नक्शे पर अलग-अलग कलर की लेयर डाली गई है। नक्शे में पीली लेयर राजस्व रिकॉर्ड (खसरा), डार्क ब्लू कंटूर (बाहर) , हल्का ब्लू जो कि आँख के आकार का है, वह तालाब का पानी और बन रही बिल्डिंग को दर्शा रहा है। लाल रंग आस-पास की कॉलोनियों और छोटी पांच नदियों को बता रहा है। प्रयोग के रूप में यह नक्शा तीन तालाब बनाकर मिला है इनमें पीपल्याहाना के साथ खजराना और नयता मुंडला तालाब भी शामिल है। कोड़वानी ने पीपल्याहान तालाब का नक्शा पिछले दिनों संभागायुक्त कार्यालय में हुई बैठक के दौरान प्रस्तुत कर दिया है। अब इस पर जल्द ही संभागायुक्त त्रिपाठी के मार्गदर्शन में काम शुरू होगा।