बिजली के उत्पादन की जितनी भी पद्धतियाँ हैं, उनमें से पन-बिजली पद्धति सर्वाधिक मितव्ययी व प्रदूषण रहित है। साथ ही संसाधनों की दृष्टि से भी यह पद्धति सर्वोत्तम मानी जाती है। यह भी अजीब विडम्बना है कि पन-बिजली उत्पादन की व्यापक क्षमता होने के बावजूद हमारे देश में घोर विद्युत संकट बना रहता है और इस संकट का कारण भी यही है कि हम बिजली के उत्पादन के लिये देश के 15 प्रतिशत जल-संसाधनों का भी समुचित उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। लेखक का विचार है कि यदि हम आगामी 15 वर्षों में पन-बिजली पद्धति द्वारा 50 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली पैदा कर सकें तो इससे देश को काफी लाभ होगा।