कभी झारखंड के कई क्षेत्रों की लाइफ लाइन रही कोयल नदी अब सूखी पड़ी है 
नदी और तालाब

अविरल बहने वाली जमुई की उलाई नदी में नहीं है जल

जमुई की उलाई नदी सूखने से किसानों की फसल पटवन की चिंता बढ़ी, दर्जनों गांव जल संकट से जूझ रहे हैं। जानिए कैसे नदी का सूखना इलाके के लिए बना बड़ी समस्या।

Author : जागरण ब्यूरो

दर्जनों गांव के किसानों को सता रही फसल पटवन की चिंता, गहराया जल संकट

हर मौसम में कल- कल छल- छल कर प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली उलाई नदी इस वर्ष फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में ही सूख चुकी है। जो आने वाले दिनों में जल संकट के उत्पन्न होने का एहसास करा रही है। 

फरवरी माह में ही उलाई नदी के सूख जाने से इलाके भर के किसान अपनी गेहूं की फसल के पटवन को लेकर चिंतित हैं। सूखी नदी को देख किसानों का कलेजा फटा जा रहा है तो दूसरी तरफ पशु पक्षियों को भी उलाई नदी के सूख जाने से अपनी प्यास बुझाने को ले कई किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ रहा है।

बताते चलें कि गिद्धौर होकर बहने वाली उलाई नदी में मई और जून महीने में पानी का बहाव होता रहता था और किसानों के खेत पटवन को लेकर गिद्धौर और निचली महुली के छोर पर कई दशकों पूर्व बनाए गए उलाई डैम पर पानी को रोक कर रखा जाता था। जिससे प्रखंड क्षेत्र के निचली महुली, धोबघट, सिमरिया, कुमरडीह, कैराकादो, भौराटांड़, रतनपुर सहित दो दर्जन से अधिक गांवों के किसान उलाई से निकलने वाले सिंचाई केनाल से पानी ले जाकर सैंकड़ो एकड़ भूमि में लगी फसल की पटवन करते थे। 

किसानों को उलाई डैम में पानी जमा रहने से खासकर गेहूं फसल की पटवन की चिंता नहीं सताती थी। लेकिन, इस बार उलाई नदी के सूख जाने के कारण डैम में एक बूंद भी पानी जमा नहीं होने के कारण दर्जनों गांव के किसानों को अपने गेहूं फसल की सिंचाई के अभाव में पैदावार नहीं होने की चिंता खाए जा रही है। किसान यह सोचकर हतप्रभ हैं कि जब फरवरी माह में ही नदी सूख चुकी है तो आने वाले ग्रीष्म ऋतु में उक्त नदी पानी की जगह धूल ही धूल नजर आएगा। जिससे खेत खलिहान व पशु पक्षी बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे।

लगातार हो रहे रेत खनन ने उलाई नदी को हमेशा के लिए सूखने के कगार पर लाकर धकेल दिया है। उलाई नदी सहित अन्य नदियों में नदी की मशीनों से खुदाई से खाई और बड़े गड्ढे बन गए हैं। यह नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित कर रहा है और जलीय आवासों को खतरे में डाल रहा है। बेतरतीब हुए बालू खनन से आसपास के इलाकों में पानी का स्तर कम हो गया है। सूखी उलाई नदी को देख भविष्य में पीने के पानी की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे इलाकों के आसपास के गांव, हमारे जीवनकाल में ही भूतिया जगह बन जाएंगे।

कुणाल सिंह, सदस्य नदी बचाओ अभियान समिति, जमुई

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