जलवायु परिवर्तन से मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। इस बार माघ में ही मौसम के तेवर तल्ख होने लगे हैं। फाल्गुन में देश के कई हिस्सों में मई-जून सी तपिश महसूस की जा रही है। अभी से दिल्ली में यमुना का जलस्तर कम होने, बिहार की नदियों के सूखने और उत्तराखंड की झीलों में पानी कम होने की चौंकाने वाली खबरें आने लगी हैं। हिन्दुस्तान की एक रिपोर्ट-
बेगूसराय में नदी जगह-जगह सूखी
बिहार के गया के इमामगंज के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली मोरहर, सोरहर और लब्जी नदी फरवरी में ही सूख गई है। नदियों में पानी नहीं रहने से जलसंकट का खतरा मंडरा रहा है। पीने के पानी के लिए लगे नलकूप और सिंचाई के लिए बोरिंग से पानी निकलना कम होने लगा है। बेगूसराय जिले में बलान नदी जगह-जगह सूख चुकी है।
वहीं बछवाड़ा से नौला भीठ करीब 50 किलोमीटर तक बहने वाली बलान नदी जगह-जगह घास के मैदान में तब्दील हो गई है। 10 साल पूर्व तक इस नदी में सालों भर पानी का बहाव रहता था। रोहतास में 110 किलोमीटर दूरी में काव नदी का बहाव है। इस बार समय से पहले ही सूख गई है। पहले मार्च तक इसमें पानी रहता था। वैशाली में वाया नदी सूख चुकी है। नालंदा जिले में छोटी-बड़ी 40 नदियां हैं। फागुन में ही सारी नदियां सूख चुकी हैं। सारण से गुजरने वाली गंडक, गंडकी, मही, सरयू और अन्य स्थानीय नदियों में पानी कम हो गया है।
लातेहार की कई नदियों में पानी नहीं, कुछ सूख गईं
झारखंड में फरवरी महीने में ही उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर, संताल, कोल्हान में नदियों, तालाबों समेत अन्य जलस्रोतों का स्तर घटने लगा है। राज्यभर में औसतन 10 से 15 फीट नीचे जलस्तर गिरा है। गढ़वा, पलामू और लातेहार में कई नदियां सूख गई है, तो कई सूखने के कगार पर हैं। वहीं, पलामू में मलय डैम का जलस्तर भी घट रहा है। लातेहार में भूमिगत जलस्तर 20 फीट नीचे चला गया है
नैनीताल की झीलों का जलस्तर गिरा
उत्तराखंड, नैनीताल। नैनीताल में बारिश की बेरुखी से झीलों का जलस्तर गिर गया है। सिंचाई विभाग के झील नियंत्रण के मुताबिक बीते चार साल में फरवरी के दूसरे सप्ताह में नैनीताल की सभी झीलें अपने न्यूनतम स्तर पर हैं।
नैनीझील का जलस्तर इन 5.9 फीट रह गया है जबकि फरवरी 2022 में जलस्तर 8.11 फीट था। सातताल, नौकुचियाताल और भीमताल झील के जलस्तर में भी गिरावट दर्ज की गई है। भीमताल झील का जलस्तर 2022 फरवरी में 43.8 मीटर था। इस बार ये गिरकर 42.9 मीटर पर पहुंच चुका है। सातताल झील का जलस्तर 2022
में 15.8 मीटर दर्ज किया गया था इस बार यह 12.8 मीटर पर है। नौकुचियाताल झील का जलस्तर 2022 में 15.7 मीटर दर्ज किया गया था। अभी झील का जलस्तर 12.7 मीटर पहुंच गया है। पर्यावरणविद् प्रो. अजय रावत कहते हैं झीलों का जलस्तर कम होने से गर्मियों में पानी की समस्या खड़ी हो सकती है। जलसंस्थान के इंई रमेश गब्र्याल का कहना है नैनीझील का जलस्तर कम होने से शहर की पेयजल व्यवस्था नहीं गड़बड़ाएगी।
बरसात के बाद से यमुना का जल क्षेत्र सिकुड़ा
नई दिल्ली। बरसात के सीजन में यमुना में जल स्तर बढ़ जाता है, लेकिन बाकी महीनों में यमुना का जलस्तर काफी कम हो जाता है। हालात यह है कि कालिंदी कुंज क्षेत्र में यमुना का जल क्षेत्र बेहद सिकुड़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि साल के करीब 10 महीने स्थिति ऐसी ही रहती है। गर्मी के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। यमुना में जल स्तर इतना कम हो जाता है कि कॉलोनियों में मांग के अनुसार पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती। बीते साल यमुना का जल स्तर कम हो जाने के कारण दिल्ली में गंभीर जल सकट उत्पन्न हो गया था और दिल्ली और हरियाणा सरकार आमने-सामने आ गई थीं।