आर्द्रभूमि (Wetland) एक प्राकृतिक या मानव-निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है, जो जल और थल के बीच का संक्रमण क्षेत्र होता है। यह भूमि और जल के बीच एक विशेष प्रकार का संतुलन बनाए रखता है, जहां पानी की मात्रा और गुणवत्ता के कारण विशेष प्रकार के पौधे और जीव-जंतु पनपते हैं। आर्द्रभूमि को हिंदी में "दलदली भूमि" या "गीली भूमि" भी कहा जाता है।
आर्द्रभूमि को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है:
"वह भूमि जो स्थायी या अस्थायी रूप से पानी से संतृप्त होती है और जहां विशेष प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं।"
"आर्द्रभूमि वे क्षेत्र हैं जहां पानी प्रमुख कारक है जो पर्यावरण और संबंधित पौधों और जानवरों के जीवन को नियंत्रित करता है।"
आर्द्रभूमि के प्रमुख लक्षण:
पानी की उपस्थिति:
आर्द्रभूमि में पानी स्थायी या अस्थायी रूप से मौजूद होता है। यह पानी ताजा, खारा या नमकीन हो सकता है।
विशेष वनस्पति:
आर्द्रभूमि में जलीय पौधे (Aquatic Plants) और अन्य विशेष प्रकार की वनस्पति पाई जाती है, जो अधिक नमी वाले वातावरण में जीवित रह सकती है।
जैव विविधता:
आर्द्रभूमि में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु, पक्षी, मछलियां, उभयचर और सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं।
मिट्टी की प्रकृति:
आर्द्रभूमि की मिट्टी आमतौर पर दलदली और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है।
आर्द्रभूमि के प्रकार:
प्राकृतिक आर्द्रभूमि:
दलदल (Marshes)
स्वाम्प (Swamps)
बॉग्स (Bogs)
फेन्स (Fens)
मैंग्रोव (Mangroves)
मानव-निर्मित आर्द्रभूमि:
जलाशय (Reservoirs)
तालाब (Ponds)
चावल के खेत (Rice Paddies)
आर्द्रभूमि के कार्य:
जल संरक्षण:
आर्द्रभूमि बाढ़ को नियंत्रित करने और भूजल को रिचार्ज करने में मदद करती है।
जैव विविधता का संरक्षण:
यह कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करती है।
जल शोधन:
आर्द्रभूमि प्रदूषित पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करती है।
कार्बन संग्रहण:
यह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करती है।
आर्थिक महत्व:
आर्द्रभूमि मछली पालन, पर्यटन और कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भारत में आर्द्रभूमि:
भारत में कई महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि हैं, जिनमें से कुछ रामसर साइट्स (Ramsar Sites) के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। उदाहरण:
केरल की वेम्बनाद झील
कश्मीर की वुलर झील
उत्तर प्रदेश की संभल झील
ओडिशा की चिल्का झील
आर्द्रभूमि का महत्व:
आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जलवायु नियंत्रण, जैव विविधता संरक्षण और मानव जीवन के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करती है। इनके संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है ताकि इनके लाभों को बनाए रखा जा सके।