अरावली पर्वत श्रेणियों में कुम्भलगढ़ के पास से निकली बनास नदी कुल 480 किलोमीटर बहने के पश्चात् राजस्थान की नाथद्वारा की पहाड़ियों से निकलकर सवाई माधोपुर के पास चम्बल नदी में विलीन हो जाती है।
बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बनअआस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रुप में जानी जाने वाली यह नदी उदयपुर जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम के नजदीक (सवाई माधोपुर) चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग ४८० किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है।
(i )बेडच नदी १९० किलोमीटर लंबी है तथा गोगंडा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है।
(ii )कोठारी नदी उत्तरी राजसामंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह १४५ किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है।
(iii) खारी नदी ८० किलोमीटर लंबी है तथा राजसामंद के बिजराल की पहाड़ियों से निकलकर देवली (टौंक) के नजदीक बनास में मिल जाती है।
बनास एक मौसमी नदी है, जो गर्मी के समय अक्सर सूखी रहती है, लेकिन इसके बावजूद यह सिचाई का स्रोत है। बरेच और कोटरी इसकी सहायक नदियाँ हैं।
बनास नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं । बनास नदी का उद्गम स्थल खमनोर जिला राजसमन्द है।
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