नदी का जलमग्न मुहाना जहाँ स्थल से आने वाले जल और सागरीय खारे जल का मिलन होता है और ज्वारीय लहरें क्रियाशील रहती हैं। एस्चुअरी का निर्माण सामान्यतः तटीय निम्नभूमि के निमज्जन के फलस्वरूप नदी घाटी के जलमग्न होने से होता है। तटीय भूमि की शैलों के कोमल होने पर नदी जल और ज्वारीय जल की रगड़ तथा घर्षण द्वारा कीपाकार एस्चुअरी का निर्माण होता है। मुहाने के समीप नदी का वेग तेज होने अथवा सागरीय तथा ज्वारीय लहरों के प्रबल होने पर मुहाने पर निक्षेपित होने वाले पदार्थ बहकर सागर में अधिक दूर तक चले जाते हैं जिससे मुहाने पर अवसादों का जमाव नहीं होने पाता है अथवा बहुत कम जमाव हो पाता है। जलमग्न होने के कारण एस्चुअरी मत्स्य पालन, पत्तन तथा औद्योगिक क्रियाओं के विकास के लिए उत्तम स्थल होते हैं। अनेक एस्चुअरी महत्वपूर्ण समुद्रपत्तनों के स्थल हैं; जैसे-टेम्स, एल्ब, प्लेट आदि नदियों की एस्चुअरी।