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कार्स्ट स्थलाकृति (Karst topography)

Author : इंडिया वाटर पोर्टल

एक प्रकार की भू-आकृति जो सरलता से घुलने वाले चूनाश्मी शैलों के क्षेत्र में विकसित होती है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें सभी आकार के अनेक विलय गर्त (Sink) या छिद्र होते हैं और भीतर ही भीतर परस्पर जुड़े हुए अनेक विलय-मार्ग या सुरंगे बनी होती है जिनके बीच में शैलों के सहसा कटक और प्रोदवर्द्ध दिखाई पड़ते हैं। कार्स्ट-स्थलाकृति के नीचे-नीचे गुफाएँ और अंतर्भौम सरिताएँ भी मिलती हैं। इसका प्रारूपिक स्थान एड्रियाटिक समुद्र के पूर्व तट पर कार्स्ट नामक एक चूनाश्म पठार है।

चूना पत्थर (कार्स्ट) प्रदेश में भूमिगत जल द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ। भूमिगत जल के अपरदन द्वारा लैपीज (lapies), घोल रंध्र (sink hole), डोलाइन (doline), विलयन छिद्र (swallow hole), घोल पटल (solution pan), कार्स्ट खिड़की (karst window), युवाला (uvala), पोलिजे (polje), धँसती निवेशिका (sinking creak), अंधी घाटी (blind valley), कार्स्ट घाटी (karst valley), कंदरा (cave or cavern), प्राकृतिक पुल (natural bridge) आदि स्थलाकृतियों का जन्म होता है। निक्षेपात्मक स्थलरूपों में अश्चुताश्म या स्टैलेक्टाइट (stalectite), निश्चुताश्म या स्टैलेग्माइट (stalegmite), कंदरा स्तंभ (cave pillar) आदि प्रमुख हैं।
 

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संदर्भ:

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