कोबाल्ट एक रासायनिक तत्व है (संकेत Co परमाणु संख्या 27, परमाणु भार 59.94)। प्राचीन काल के रंगीन कांच के विश्लेषण से पता लगता है कि कोबाल्ट के खनिज का उपयोग तब ज्ञात था। ऐग्रिकोला ने 1530 ई. में कुछ खनिजों और अयस्कों के लिए कोबाल्ट शब्द का प्रयोग किया था। 1742 ई. में ब्रांट (Brandt) ने पहले पहल अशुद्ध रूप में इस धातु को प्राप्त किया था। उन्होंने इसके चुंबकीय गुण और ऊँचे द्रवणांक का भी पता लगाया था। कुछ खनिजों के पिघलाने से नीले रंग के बनने का कारण यही तत्व था। इस धातु का प्रारंभिक अध्ययन बैर्गमैन (Bergman) ने किया।
कोबाल्ट अन्य धातुओं के खनिजों, विशेषत: लोहे और सीसे के खनिजों के साथ मिला हुआ पाया जाता है। इसके सामान्य खनिज स्मॉल्टाइट को आ 2 (Smaltite, CoAs2), लिनीआइट (Linnaeite) कोबाल्ट सल्फाइड, ईरिथ्राइट (Erythrite, 3 CoO.As2O5 8H2O)और कोबाल्टाइट (CoS, CoAs2), ऐसबोलाइट (Asbolite, CoO,2MnO2,4H2O) हैं। इनके खनिज व्यापक रूप से, पर अल्प मात्रा में अनेक देशों कांगो, चिली, अमरीका इत्यादि-में पाए जाते हैं। अधिकांश उल्काश्म (meteorites) में भी लोहे और निकल के साथ यह पाया जाता है। सूर्य और अनेक तारों में इसकी उपस्थिति मिलती है। अनेक पौधों और जंतुओं में भी इसका लेश पाया गया है।
खनिजों से धातु प्राप्त करने की विधि खनिजों की प्रकृति और उनमें उपस्थित धातुओं पर निर्भर करती है। धातुकर्म वस्तुत: कुछ पेचीदा होता है। इस खनिज को दलकर भट्ठियों में भूनते हैं। इससे वाष्पशील अंश बहुत कुछ निकल जाता है। फिर नमक के साथ उत्तप्त करते हैं, जिससे चाँदी अविलेय सिल्वर क्लोराइड में परिणत हो जाती हैं। जलविलेय निष्कर्ष में कोबाल्ट के अतिरिक्त निकल और ताँबा रहते हैं। लौह धातु के उपचार से ताँबे को अवक्षिप्त करके अलग कर लेते हैं। अवशेष को अब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुलाते हैं। विलयन को चूना पत्थर से उदासीन बनाकर, लोहे को हाइड्राम्क्साइड के रूप में अवक्षिप्त कर लेते हैं। निस्यंद को अब बिरंजक चूने के उपचार से कोबाल्ट का काले कोबाल्ट हाइड्रॉक्साइड (Cobalt hydroxide) के रूप में अवक्षेप निकल जाता है और निकल विलयन में रह जाता है।
कोबाल्ट धातु प्राप्त करने के लिये कोबाल्ट के आक्साइड का हाइड्रोजन, या कार्बन, या कार्बन मॉनोक्साइड, या ऐल्यूमिनियम से अवकरण करते हैं, अथवा इसके अल्प अम्लीय ऐमोनिया युक्त विलयन में बिजली के प्रवाह से कोबाल्ट का अवक्षेप प्राप्त करते हैं।
कोबाल्ट हल्की नीली आभावाली चाँदी सी सफेद धातु है। इस पर पालिश अच्छी चढ़ती है। कोबाल्ट से पालिश की हुई वस्तुएँ अधिक टिकाऊ होती हैं। इसके भौतिक गुण इस प्रकार हैं :
विशिष्ट घनत्व | 8.8 |
द्रवणांक | 1,480 सें. |
क्वथनांक | 2,375 सें. (30 मिलीमीटर पर) |
विशिष्ट उष्मा | 0.0828 |
कठोरता | 5.5 |
तनाव सामर्थ्य | 60,000 पाउंड प्रति वर्ग इंच |
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