पानी - (पुं.) (तद्.<पानीय) - 1. वर्षा, नदी या पृथ्वी के अंदर से निकलने वाला द्रव जो पीने, नहाने, स्वच्छता आदि के काम आता है। 2. जीभ, आँख, घाव आदि से रिसने वाला तरल पदार्थ। ला.अर्थ (i) चमक, कांति, आभा। (ii) मान, प्रतिष्ठा। (iii) हथियारों की धार। 3. हाथ-करहुँ प्रनाम जोरि जुग पानी। (पाणि) मुहा. (i) पानी देना-सींचना (ii). तर्पण करना, पितरों को जल चढ़ाना। पानी में आग लगाना-असंभव को संभव करने का प्रयत्न करना।, शांत स्थिति में अशांति उत्पन्न करना। मुँह में पानी आना-किसी वस्तु का लोभ (लालच) होना। पानी उतरना/मरना-(i) कांतिहीन होना। (ii) सम्मान/प्रतिष्ठा खो देना। पानी उतारना-अपमानित/बेइज्जत करना। पानी माँगना-हार मान लेना। पानी तक न माँगना- तत् काल मृत्यु हो जाना। पानी-पानी होना/करना-लज्जित होना/करना। पानी पी-पीकर कोसना-लंबें समय तक (बीच-बीच में रूककर) कोसते रहना। पानी भरना-(अन्य के मूल्यवान कामों की तुलना में) निम्नसार में काम करना।