सौरभ पाण्डेय
वर्मीकम्पोस्ट (vermicompost) एक ऐसी खाद हैं, जिसमें विशेष प्रजाति के केंचुओं द्वारा बनाई जाती है। केंचुओं द्वारा गोबर एवं कचरे को खा कर, मल द्वारा जो चाय की पत्ती जैसा पदार्थ बनता हैं। यही वर्मीकम्पोस्ट हैं। यह खाद अब तक किसी प्रकार से तैयार की गई खाद के मुकाबले कई गुणा अधिक पोषक तत्वों से भरपूर हैं। केंचुए की खाद आम देशी खाद से आठ गुणा, भेड़, बकरी की मींगनी की खाद से चार गुणा एंव मुर्गी की बीट इत्यादि से दो गुणा अधिक कारगर विभिन्न प्रयोगों में आंकी गई हैं। दूसरी विशेषता केंचुए की खाद ठंडी खाद हैं। जबकी गोबर एंव मुर्गी की बीट गर्म खाद होने के कारण इसे केंचुए की खाद की अपेक्षा अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसकी तीसरी विशेषता यह है कि इस खाद को किसी भी समय दिया जा सकता है। रबी फसलों में इस खाद के उपयोग से पाला पड़ने की समस्या से बहुत हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
इस खाद के निर्माण हेतु प्रत्येक घर एवं गांव में ही आसानी से उपलब्ध गोबर तथा कचरा एवं केंचुए द्वारा छायादार स्थान पर उचित पानी की उपलब्धता पर बहुत- कम लागत (औसत 20 से 30 पैसे प्रति किलो) में बिना किसी विशिष्ट उपकरणों के हम खुद के लिए एवं अधिक उत्पादन कर दूसरों को बेचने के लिए इस खाद को तैयार कर सकते हैं। केंचुए की खाद बनाने हेतु गोबर, कचरा, पानी एवं छायादार स्थान लगभग 6-8 फिट ऊँचाई युक्त स्थान का चुनाव किया जाता है। बेड़े की लम्बाई गोबर की खाद की उपलब्धता पर निर्भर करती हैं। परंतु चौड़ाई 3 फीट रखी जाती हैं। उपरोक्त बेड़े पर 3 से 4 इंच मोटी कचरे की परत लगानी चाहिए। यदि गोबर हो तो एक से डेढ़ फिट ऊंचाई तक इस बेड़े को भर देते हैं और इसमें उपयुक्त नमी बनाये रखते हैं। बेड़े को गीला करने के 2-3 दिन बाद केंचुए छोड़ दिये जाते हैं। बेड़े में उपयुक्त नमी बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। नमी कम होने पर केंचुए मर जाते हैं।
बेड़े में केंचुए छोड़ने के बाद इसको घास- फूस तथा पत्तियों के कचरे से ढंक दिया जाता हैं एवं ऊपर से बोरी द्वारा ढंक दिया जाता हैं। इस प्रक्रिया से उचित नमी एवं रोशनी कम होने के कारण केंचुए लगातार सक्रिय बने रहते हैं। वर्षा एवं सर्दी का मौसम छोड़कर गर्मी में हर रोज पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए 35-45 दिनो के अंदर उपरोक्त कचरा/गोबर वर्मीकम्पोस्ट में बदल जाता हैं। दस फुट लम्बाई, तीन फुट चौड़ाई तथा डेढ़ फुट ऊंची बेड़ में 4-5 क्विंटल गोबर आता हैं। इससे 60-70% तक खाद तैयार होती हैं। तैयार केंचुए की खाद से केंचुए अलग करने हेतु क्यारी की ऊपरी सतह से 2-3 इंच तक गुड़ाई कर देवें। ऐसा करने से केंचुए नीचे चले जाते हैं। तथा ऊपर की खाद को अलग कर दुबारा गुड़ाई कर दें। इस तरह केंचुए एवं खाद को अलग-अलग किया जा सकता हैं। 10 फीट की लम्बाई की एक युनिट के लिए 10 किलोग्राम केंचुए केन्द्र की ओर से राष्ट्रीय सम विकास योजना एवं आत्मा के सौजन्य से नि:शुल्क दिये जाते हैं।
• वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी में रोकने की क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि करती हैं और पौधों को सभी पोषक तत्व उपलब्ध कराती हैं।
• खाद्य फसलों में 30-50 प्रतिशत, चारे वाली फसलों में 40 प्रतिशत एवं फल व सब्जियों में 30-100 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई हैं।
• फसलों एवं फल व सब्जियों की गुणवत्ता रंग-रूप, पौष्टिकता, स्वाद में तुलनात्मक रूप से आश्चर्यजनक वृद्धि होती हैं।
• फसलों में कम पानी/सिंचाई की आवश्यकता।
• कम खर्च द्वारा अधिक लाभ प्राप्त करना।
• अधिक मात्रा में उत्पादन कर स्वरोजगार को बढ़ाना।
सौरभ पाण्डेय
ए.जी.टी. इफको नरसिंहपुर (म.प्र.)
फोन न. 9424654310
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