उच्चवर्ती (पर्वतीय) भागों में गुरुत्व के प्रभाव से ढाल के सहारे शैल पदार्थों का वृहत पैमाने पर ऊपर से नीचे की ओर स्थानांतरण। शैल पदार्थों के इस संचलन में प्रायः जल की स्नेहन क्रिया सहायक होती है। यह संचालन मंद अथवा तीव्र किसी भी प्रकार का हो सकता है. इसके द्वारा शैल पदार्थ ऊपर से नीचे आकर पादस्थल पर भग्नराशि (screes) के रूप में संचित हो जाते हैं। वृहत् संचलन कई रूपों में होता है जिनमें भूसर्पण (earth creep), मृदा सर्पण (soil creep),भूस्खलन (land slide), पंक प्रवाह (mud flow), शैल पात (Rock fall) आदि प्रमुख हैं। मृदा सर्पण मंदगति से होता है किंतु भूस्खलन तथा शैलपात प्रायः अचानक और तीव्रगति से होता है।
किसी ढाल पर गुरुत्व (gravity) के प्रभाव स्वरूप पदार्थ का नीचे की ओर गिरना। यह विशेषतः वर्षा-जल या बर्फ पिघलने के कारण होता है।