तुगलकाबाद से पांच कि.मी. दूर दक्षिण में सूरजकुंड स्थित है। कुंड के जल तक पहुंचने के लिए अर्धवृत्ताकार पक्की पौड़ियां बनी हुई हैं। सूरजकुंड में सूर्य भगवान का एक देवालय भी है। सीढ़ियों के बीच खाली स्थान पर पत्थर की बनी एक सड़क भी बड़ी खूबसूरत है। इस सड़क-मार्ग को देखकर ऐसा लगता है कि कुंड में स्नान करने के लिए हाथियों का काफिला इसी सड़क से आता-जाता होगा।
तोमर शासन काल में राजा सूरजपाल द्वारा निर्मित सूरज कुंड स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। पूरब की ओर से उगते सूर्य की परिधि देने के लिये उसी आकृति से इसे निर्मित किया गया है।
फरीदाबाद स्थित सूरजकुंड इलाके में बारहवीं शताब्दी में महाराजा सूरजपाल द्वारा बनाया गया ऐतिहासिक सूरजकुंड आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है, कभी प्राकृतिक रूप से पानी से लबा-लब भरा रहने वाला यह कुंड आज पूरी तरह से सूख चुका है। पर्यटन विभाग की कई कोशिशों के बावजूद भी इस ऐतिहासिक सूरजकुंड को इसके पुराने स्वरूप में नहीं लौटाया जा सका। देश-विदेशी से आने वाले पर्यटक जब इसके गौरव इतिहास को जानकर इसे देखने आते हैं तो निराश हो जाते हैं। कुंड के समीप बनी सूरजकुंड झील भी सूख चुकी है। दरअसल इस पूरे क्षेत्र में लगातार हुए खनन और भूजल दोहन के चलते यहां के प्राकृतिक जल स्त्रोत सूख गए। पर्यटन विभाग के अधिकारी राजेश जून का कहना है कि ऐतिहासिक कुंड का रखरखाव इकोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल पर्यटन विभाग सूरजकुंड के अलावा सूरजकुंड झील व बड़खल झील को अन्य जल स्त्रोतों से पानी लाकर भरने की योजना बना रहा है, ताकि इनकी खूबसूरती लौटाई जा सके। विभाग की जिम्मेदारी होने के बावजूद हरियाणा पर्यटन विभाग यहां पानी लाने के लिए विकल्प खोज रहा है। जिसमें यह विकल्प उभरकर सामने आया है कि अरावली क्षेत्र में खनन के दौरान बनी बड़ी-बड़ी झीलों से पानी इस कुंड एवं दोनों झीलों तक लाया जाए और इस क्षेत्र में भूजल के दोहन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
सूरजकुंड हरियाणा में फरीदाबाद जिला स्थित है। यह अपने हस्तशिल्प-मेला के लिये प्रसिद्ध है।
हरियाणा की पर्यटन विभाग ने १९८१ में शुरू किया था । तब से हर साल इन्ही दिनों ये मेला लगता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण है कि भारत के सभी राज्यों में से सबसे अच्छा शिल्प उत्पादों को एक ही स्थान पर जहाँ आप न देख सकते बल्कि उन्हें महसूस कर सकते हैं और उन्हें खरीद भी सकते है । इस शिल्प मेले में आप सबसे अच्छे हथकरघा और देश के सभी हस्तशिल्प पा सकते हैं। साथ ही मेला मैदान के ग्रामीण परिवेश की अद्भुत रेंज आगंतुकों को आकर्षित कर रही है । ये मेला 15 फ़रवरी तक चलेगा। सूरजकुंड मेले में इस गांव के माहौल को न केवल शहर की सुविधा-निवासी गांव जीवन की एक स्वाद पाने के लिए, लेकिन यह भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों के लिए पहुँच प्राप्त करने के शिल्पकारों में मदद करता है।