सरपंच, श्री जसपाल सिंह के लिए वह बहुत गर्व का क्षण था जब इस वर्ष डबाली गांव, जल जीवन मिशन के अंतर्गत 'हर घर जल गांव' बन गया। घरों के जल उपयोग की निगरानी हेतु 145 घरेलू कनेक्शनों में जल मीटर लगाया गया। डबाली गांव पंजाब के एसएएस नगर जिले का एक छोटा कृषि संपृष्ट गांव हैं। पहले यहां के लोग जल की दैनिक आवश्यकता के लिए ट्यूबवेलों पर निर्भर करते थे।
जसपाल सिंह ने पंचायत की निधियों से जल मीटर संस्थापित करने की शुरुआत की। ग्राम पंचायत जल स्वच्छता समिति (जीपीडब्ल्यूएससी) जल मीटर की रींडिग लेता है, बिल इकट्ठा करता है और जल आपूर्ति परियोजनाओं के प्रचालन एवं रख-रखाव लागत का प्रबंधन करता है। फतेहगढ़ साहिब जिले का मोहन माजरा गांव, एसएएस नगर जिले का सिंहपुर गांव, जालंधर जिले का साहपुर गांव, ऐसे कुछ उदाहरणीय जीपीडब्ल्यूएससी हैं जो सातों दिन 24 घंटे उपलब्ध कराए गए जलापूर्ति का जल बिल इकट्ठा करने के लिए जल मीटर स्थापित करने की शुरूआत कर चैंपियन बन गए हैं ताकि प्रचालन एवं रख-रखाव लागत की व्यवस्था की जा सके और समुदायों में स्वामित्व का विकास हो सके।
पंजाब राज्य, जल मीटर की स्थापना करके घरेलू स्तर पर जल उपयोग की निगरानी करने वाले राज्यों में अग्रणी बन गया है। मीटर लगाना और उसका बिल इकट्ठा करने से लोगों को पानी की बचत, लिकेज दूर करने और बर्बादी को रोकने के लिए बढ़ावा भी मिलता है। 90% उपभोक्ताओं ने अपने घरों में स्मार्ट जल मीटर लगा लिया है और वे नियमित रूप से जल शुल्क का भुगतान कर रहे हैं। जल उपभोग की निगरानी और उसके भुगतान में जल मीटर मदद करता है। इससे भू-जल संरक्षण और समुदाय में समानता की भावना बढ़ाने में मदद मिलती है।
जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग (डीडब्ल्यूएसएस), पंजाब ने मोहाली जिले के 35 गांवों के घरेलू नल कनेक्शनों में मुफ्त में जल मीटर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। प्रारंभिक परियोजना के रूप में ग्रामीण समुदाय को उनके अपने जल आपूर्ति प्रणालियों के निर्माण और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार बनाने, जल की बर्बादी को रोकने, प्रणाली को वित्तीय रूप से स्थायी बनाने और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता-पूर्ण सेवा देने के उद्देश्य से 7,899 जल मीटर सेस्थापित किया गया है ताकि जल आपूर्ति परियोजनाओं के प्रचालन एवं रख-रखाव हेतु परिमाणात्मक आधार पर जल शुल्क लिया जा सके।
वर्तमान में, 609 गांवों में घरेलू स्तर पर जल मीटर लगाए गए हैं। विभाग द्वारा गांव में आपूर्तित जल की मात्रा को मापने के लिए स्रोत पर भी बल्क जल मीटर लगाया गया है। लाभार्थी स्तर पर स्रोत और उपभोग की निगरानी करके प्रणाली में हो रहे किसी लीकेज, अनधिकृत जल कनेक्शन का आसानी से पता लगाया जा सकता है। मजदूरी
सहित 1800 से 2000 रुपए प्रति मीटर के औसत लागत पर दो प्रकार के जल मीटर यथा मल्टीजैक और मैगनेटिक ट्रान्समिशन, संस्थापित किए जा रहे हैं।
जल मीटर लगाने से पेयजल के असमान वितरण और जल की बर्बादी के मुद्दे को निपटाया जा सकता है और जीपीडब्ल्यूएससी प्रचालन एवं रख- रखाव लागत जुटा सकता है। इन-फ्लो और आउट- फ्लो को माप कर प्रणाली की जल लेखा परीक्षा संभव हो गई है। इसके साथ ही सभी परिवारों को समान रूप से जल उपलब्ध कराने से समुदाय का संतुष्टि स्तर भी बढ़ गया है।