एक विविधिकृत फार्म यह है जिसमें कई उत्पादन उद्यम या आय के स्रोत हैं, लेकिन आय का कोई भी स्रोत उस स्रोत से कुल आय के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है। ऐसे खेतों के किसान आय के अनेक स्रोतों पर निर्भर रहते हैं
चूंकि भूमि पर लगातार खेती की जाती है, इसलिए मिट्टी की का मूल्यांकन किया जा सकता है। उर्वरता कम जोखिम भराः विशेषीकृत खेती की तुलना में विविधिकृत कृषि तकनीकें कम जोखिम भरी हैं, सभी संसाधनों के इष्टतम उपयोग की अनुमति भी देती है।
विविध खेती में फसल अवशेषों का सही उपयोग एवं दक्षतापूर्ण प्रयोग में लाने हेतु उपरोक्त विभिन्न उद्यमों के बीच संबंध एवं एक-दूसरे • पूरक होने का ज्ञान होना आवश्यक है, ताकि एक उद्यम के अवशेष को दूसरे उद्यम हेतु निवेश के रूप में अधिक कुशलता एवं दक्षतापूर्ण इस - प्रणाली के अंतर्गत उपयोग किया जा सके। इस क्रम में यह आवश्यक है कि कुल उपलब्ध जमीन का 50 प्रतिशत भाग धान्य फसलों, 20 प्रतिशत भाग दलहनी, 5 प्रतिशत भाग तिलहनी, 5 प्रतिशत भाग सब्जी एवं फलोत्पादन, 10 प्रतिशत भाग मत्स्यपालन तथा 10 प्रतिशत भाग मकान एवं जानवरों के निवास, सिंचाई हेतु नाला आदि के रूप में इस्तेमाल करें। समेकित कृषि प्रणाली में किसानों के परिवार को केन्द्र में रखते हुए मृदा, जल, फसल, पशुपालन, श्रम एवं अन्य संसाधनों को पूरक के रूप में रखकर कृषि एवं इससे संबंधित क्रियाकलापों का प्रबंधन इस प्रकार से किया जाता है कि वर्ष भर रोजगार उपलब्ध होने के साथ-साथ उत्पादन एवं आय में अधिकतम प्राप्ति हो।
इस प्रणाली में विभिन्न अवयवों का समायोजन प्रकार किया जा सकता है ताकि इससे आय इस व रोजगार प्राप्त हो सके। कुल क्षेत्रफल का 10 प्रतिशत भाग में तालाब खोदकर वर्षा संचय करें।
इस जल में मत्स्य पालन के साथ सिंचाई की भी सुविधा प्राप्त होगी। मछली पालन के साथ बतख पालन तालाब में कर सकते है। बतख के साथ मछली पालन करने पर मछलियों के परिपूरक आय एवं खाद पर होने वाले खर्च को कम किया आ सकता है। क्योंकि बतखों के अवशिष्ट पदार्थों में काफी मात्रा में बतख का दाना तथा अवपचा भोजन होता है जो मछलियों के लिए सीधे भोजन का कार्य करता है। बतखों का बीट तालाब में खाद का भी कार्य करता है। अगर तालाब के बांध पर मुर्गीपालन हेतु बाड़ा बनाकर किया जाए तो इससे भी अनेकानेक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ बकरीपालन अगर किसान कर ले तो मछली के लिए प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो जाएंगे। इससे कम खर्च में अधिक आय प्राप्त होगी तथा रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
सिंचाई की सुविधा होने से फसल प्रणाली में भी विविधता यानी धान के रबी मौसम गेहूँ, दलहन, तिलहन, मूंग के साथ-साथ सब्जी उत्पादन करना भी आसान व लाभप्रद होगा। खेत के मेड़ पर सब्जियां रास्ते के दोनों और लगाकर आसानी से स्वादिष्ट स्वास्थवर्धक सब्जी प्राप्त हो सकेंगी। इसके अलावा फल-फूल एवं चारा की भी खेती आसानी से की जा सकती है। इससे कृषक परिवार के साथ-साथ पशुओं को भी चारा उपलब्ध हो सकेगा। इसके अलावा किसान अपने मुख्य कार्य के साथ मधुमक्खी पालन, फसलोत्पादन के साथ-साथ आय प्राप्त कर सकते है।
विविध सोती से प्राप्त अवशेषों से वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन का फसल के लिए खाद एवं केचुआं व खाद विक्री से आय की प्रानि कर सकते हैं। इस प्रकार समेकित कृषि प्रणाली एक लाभदायक प्रणाली है जिसके माध्यम से किसान अधिक आमदनी एवं रोजगार के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन टिकाऊ खेती के साथ समृद्धि एवं सम्पन्नता बढ़ा सकते हैं।
विविध कृषि प्रणाली से किसान एक ही समय में अलग-अलग फसल की बोवनी कर आमदनी बढ़ा सकते हैं। छोटे किसानों के लिए राहत की बात है। वे अपने छोटे से खेत में फसल के साथ सब्जी, पशुपालन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। यह संभव होगा डायवर्सिफाइड फार्मिंग सिस्टम (विविध कृषि प्रणाली) से। इसके जरिए किसान एक साथ कई किस्मों की बुआई कर सकते हैं। इससे ज्यादा उत्पादन और अच्छी कमाई कर सकते हैं।
यह मॉडल कम जमीन वाले किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है। इसमें रबी फसल की खेती के साथ बागवानी, पशुपालन और अन्य प्रयोग किए जा सकते हैं। जिन किसानों के पास कम जमीन है और बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं वे विविध खेती अपना सकते हैं। इससे कम जमीन में खेती के साथ आय के अन्य संसाधन अपनाए जा सकते हैं। किसान एक हेक्टेयर में पारपरिक फसलों की खेती के साथ ही सब्जियों की खेती, नकदी फसल जैसे सरसों, कपास की खेती। खेत की मेढ़ पर नींबू, फलदार पेड़-पौधे के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन और मशरूम खेती के लिए दो कमरों का प्लांट बनाकर खेती करें एवं गुणवत्ता वाले खाद के लिए वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाएं, इससे काफी फायदा मिलेगा। इस खेती में कम आती है लागत इस खेती में एक घटक से बढ़े हुए उत्पादों तथा अवशेषों को दूसरे घटकों में उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण स्वरूय पोल्ट्री की बीट को मछली खाएंगी, मछली तालाब का पानी खेती में जाएगा, सब्जियों की खेती में पशुओं का गोबर डाला जाएगा, इससे कृषि लागत घट जाएगी।
खेत के चारों तरफ अनार, अमरूद, पपीता, बिल्व पत्र, कटहल के पेड़ लगा सकते हैं। केंचुआ खाद, मशरूम की खेती की जा सकती है। खेत के चारों ओर नीबू वर्गीय पौधे जैसे- नींबू, करेम आदि लगा सकते है। बेलगिरी (बेल फल) का पौधा भी लगा सकते हैं। बेलगिरी (बेल फल) का जूस सहित कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाई बनती है। किसानों को पूरे साल रोजगार संभव
विविधीकृत खेती में किसान को पूरे वर्ष रोजगार मिल सकता है। गर्मी के मौसम में वे सब्जियों, फलों के पेड़ों से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं। दो भैंस और गाय पालन करें। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, मछली पालन और कुक्कुट पालन भी कर सकते हैं। नींबू, अमरूद बाउण्ड्री पर लगे, बेल वाली फसल यानी लौकी ले सकते हैं।
इस प्रकार की खेती में कई प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं इसलिए जोखिम एवं हानि का डर कम रहता है।