(IHP) के तत्वावधान में जल संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के निस्तारण के लिए कुल 17 प्रमुख कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिसकी हम संक्षेप में चर्चा करने जा रहे हैं:
ईरान द्वारा प्रस्तावित अन्तरर्राष्ट्रीय अनावृष्टि पहल (IDI) को जुलाई 2010 में पेरिस में अन्तः शासकीय परिषद् के 19वें सत्र में अनुमोदित किया गया था। शहरी जल प्रबंधन पर क्षेत्रीय केंद्र (RCUWM), तेहरान इसके सचिवालय की मेजबानी करता है। IDI का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बीच नेटवर्किंग और ज्ञान और सूचना के प्रसार के लिए एक मंच प्रदान करना है जो अनावृष्टि पर सक्रिय रूप से कार्यरत है। यह पहल, यूनेस्को श्रेणी II केंद्रों और वाटर चेयर, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), विश्व जल परिषद (WWC), खाद्य और कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), अंतर्राष्ट्रीय व आपदा न्यूनीकरण रणनीति (ISDR) और वैश्विक जल भागीदारी (GWP) के साथ सहयोग करती है। यह पहल इसमें शामिल होने में रुचि रखने वाली अन्य सभी संबंधित संस्थाओं के लिए भी उपलब्ध है।
यूनेस्को का यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सहयोग के एक तंत्र के माध्यम से दुनिया भर के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए वैश्विक क्षमता को मजबूत करने के लिए स्थापित किया गया था। यह तंत्र शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और इसका उद्देश्य नेटवर्को, केंद्रों, संगठनों और व्यक्तियों से चयनित सामग्री के एकीकरण के माध्यम से एक प्रभावी वैश्विक समुदाय का निर्माण करना है।
G-WADI के उद्देश्यों में शुष्क क्षेत्रों में जलविज्ञानीय तंत्र और जल प्रबंधन आवश्यकताओं के विशेष अभिलक्षणों की बेहतर समझ, व्यक्तियों और संस्थानों का क्षमता निर्माण, उपयोगकर्ता समुदाय और जनता के लिए शुष्क क्षेत्रों में जल के बारे में जानकारी का व्यापक प्रसार, अनुभव का आदान-प्रदान, और एकीकृत बेसिन प्रबंधन को बढ़ावा देना और उचित निर्णय समर्थित उपकरणों का विकास और उपयोग करना सम्मिलित हैं।
कटाव और समुद्र में बहकर आये तलछट, सतह जल के संरक्षण और निवारण के लिए झील या जलाशय वातावरण को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्किोण का निर्माण, वारीकी से नीति और प्रबंधन की आवश्यकता के साथ विज्ञान को जोड़ने के लिए सही आंकलन करने के उद्देश्य से की गयी एक पहल है। इसका प्रारम्भ वर्ष 2002 में हुआ था।
अन्तर्राष्ट्रीय अवसाद पहल (ISI) के उद्देश्य निम्न हैंः
यह एक अंतरराष्ट्रीय शोध कार्यक्रम है जो क्षेत्रीय स्तर पर आंकड़ा, ज्ञान और तकनीक के आदान-प्रदान के माध्यम से जल वैज्ञानिक आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए क्षेत्रीय नेटवर्क स्थापित करने में मदद करता है। 1986 में इसकी शुरुआत के बाद IHP के कई चरणों में इसे IHP परिषद् द्वारा अनुमोदित, IHP सामरिक योजनाओं के अन्तर्गत तथा फिर सामान्य सम्मेलन द्वारा एक क्रॉस-कटिंग थीम माना गया है। जब पर्यावरणीय जीवन नीति के लिए जलविज्ञान (HELP) की शुरुआत हुई थी तब इसे एक अनुभव-जन्य पहल के रूप में माना गया था। FRIEND क्षेत्रीय घटकों वाले क्षेत्र द्वारा आयोजित किया जाता है। आठ क्षेत्रों में से प्रत्येक में, FRIEND के सदस्य भागीदार हैं और वे क्षेत्रीय जलविज्ञानीय चुनौतियों का समाधान सामना करने के लिए मिलकर कार्य करते हैं तथा जल वैज्ञानिक चर में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। FRIEND ज्यादातर सम्मेलनों और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के साथ-साथ विशेषज्ञ कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
यह बाढ़ प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने हेतु एक अंतःसंस्थानी पहल है जो बाढ़ से होने वाले लाभ का फायदा उठाती हैं और सामाजिक, पर्यावरण और आर्थिक जोखिम को कम करने के लिए बाढ़कृत मैदान का उपयोग करती है। IFI की शुरुआत वर्ष 2005 में बाढ़ पर एक संयुक्त UNESCO/WMO कार्यक्रम के रूप में की गई थी जिसे एक समग्र अंतःविषय फैशन के रूप में लागू किया जाना था। IFI के सक्रिय भागीदारों में ICHARM (जापान में C2C जो इसके सचिवालय की मेजबानी करता है), WMO, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, आपदा न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय रणनीति, IAHS, ICFM के साथ ही फिलीपींस, श्रीलंका, म्यांमार और पाकिस्तान में सरकारी अधिकारी हैं। नेटवर्क में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के इन 4 देशों के 20 विशेषज्ञ शामिल हैं। यह पहल मुख्यतः अनुसंधान, सूचना नेटवर्किंग, शिक्षा और प्रशिक्षण, समुदायों को सशक्त बनाने और तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने पर केंद्रित होगी।
विशेषज्ञ और प्रवीण लोगों के नेटवर्क को स्थापित करने की दिशा में यह एक ऐसी पहल है जो सीमा जलवाही स्तर की एक विश्वस्तरीय सूची संकलित करेगी और साझा भूजल संसाधनों के प्रबंधन के विषय में बुद्धिमान प्रथाओं और मार्गदर्शन उपकरण को भी विकसित करेगी। 2002 में अपनी शुरुआत के बाद से ISARM ने कई वैश्विक और क्षेत्रीय पहल शुरू की हैं। इन्हें सीमापार जलदायक तंत्र को चित्रित और विश्लेषित करने और नदी तटीय राज्यों को पारस्परिक रूप से लाभकारी और सतत जलदायक विकास की दिशा में सहकारी रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहन हेतु अभिकल्पित किया गया है।
ISARM दुनिया के सीमापार जलदायक के स्थान, चित्रण और विशेषताओं का उत्पादन और सूची का अद्यतनीकरण करता है। ISARM के प्रमुख उत्पादों में एक विश्व के सीमापार जलदायक का मानचित्र है। ISARM अध्ययनों के परिणामों का उपयोग SDG-6 के संकेतक 6.5.2 की निगरानी के लिए किया जाता है। ISARM एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर आधारित है। इसके मुख्य भागीदार IAH, अन्तरर्राष्ट्रीय बेसिन संगठन नेटवर्क, कई यूनेस्को C2C, वैश्विक पर्यावरण सुविधा और कई विश्वविद्यालय हैं।
IHP के अन्तर्गत भूस्खलन पर यूनेस्को कार्यकारी समूह (WGSL) सबसे पुराने कार्यकारी समूह में से एक है, जिसकी गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय जलविज्ञानीय दशक (IHD)
1965-1974 के दौरान प्रारम्भ हुयी थी। 1970 के दशक में WGLS ने मुख्य रूप से विकसित और नव-विकसित देशों और क्षेत्रों में भूस्खलन पर सुधार और ज्ञान के प्रसार के लिए अपनी गतिविधियाँ प्रारम्भ की।
LaSII मुख्य रूप से चार मुख्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगाः
जल कानून और नीति विशेषज्ञों, जल संसाधन प्रबंधकों और जल वैज्ञानिकों के लिए जल से सम्बंधित समस्याओं पर एक साथ कार्य करने के उद्देश्य से ढांचे का निर्माण करना एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन के लिए एक नया दृष्टिकोण है। यह कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय जलविज्ञान अनुसंधान समुदाय द्वारा शुरू किया गया था और UNESCO तथा WMO द्वारा 1999 में अपनाया गया था। HELP लाभकारी
जल प्रबंधन और नीति के साथ ही मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने और सामाजिक विकास वृद्धि के उद्देश्य से जल के उचित और सतत उपयोग के माध्यम से लाभ में योगदान दे रहा है।
HELP अनुसंधान का एक कार्यक्रम है, जो जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं पर केंद्रित है तथा दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के जलविज्ञानीय बेसिनों में फैले हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला के सहयोग से आयोजित और कार्यान्वित किया जाता है।
यह एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो "जलदायक पुनःपूरण प्रबंधन" के प्रचार की अवधारणा पर आधारित है। MAR का उद्देश्य जलदायक के प्राकृतिक पुनर्भरण को बढ़ाना है और आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से वांछित जल की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह पहल नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों की जलदायक के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करती है और सतत जलभृत पुनर्भरण प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने के लिए अनुसंधान की क्षमताओं में सुधार और सम्बंधित उपकरण विकसित करने के प्रयास को प्रोत्साहित करती है। MAR के मुख्य भागीदार प्रबंधित जलभृत जल भूवैज्ञानिक आयोग के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन (IAH&MAR) और IGRAC C2C हैं, जो सार्वभौम MAR पोर्टल की मेजबानी करता है।
IIWQ वैज्ञानिक अनुसंधान, ज्ञान-साझाकरण, नवीन तकनीकों, उपकरणों और नीतिगत दृष्टिकोण को जल के गुणवत्ता सम्बन्धित विषयों (जल प्रदूषण, जल गुणवत्ता निगरानी, जल का पुनः उपयोग, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, आदि) को संबोधित करने के लिए बढ़ावा देता है। IIWQ क्षमता निर्माण के साथ ही जल की गुणवत्ता और अपशिष्ट जल के बारे में एक समग्र और बहु-विषयक (Multi-disciplinary) दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए जागरूकता में वृद्धि प्रदान करता है। IIWQ सभी IHP जल गुणवत्ता संबंधी गतिविधियों के लिए एकछत्र कार्यक्रम है। इसकी स्थापना वर्ष 2012 में 20वीं IHP अन्तः शासकीय परिषद के द्वारा की गयी थी। IIWQ नेटवर्क उभरते प्रदूषकों पर विशेषज्ञों का नेटवर्क है जिसमें IIWQ, 47 संस्थानों के 70 से अधिक विशेषज्ञों एवं विशेषज्ञ सलाहकार समूह के 23 विशेषज्ञों सहित सभी क्षेत्रों के 100 से अधिक जल गुणवत्ता विशेषज्ञों को एक साथ जोड़ता है।
यह जल से संबंधित जानकारी साझा करने, एक्सेस करने और कल्पना करने के साथ-साथ जल हितधारकों को परस्पर जोड़ने के लिए एक सीधी पहुंच और मुफ्त भागीदारी मंच है. जिसे जनवरी, 2017 में लॉन्च किया गया था। IHP के द्वारा विकसित और अनुरक्षित, WINS एक उपकरण है, जिसका उद्देश्य निर्णय लेने में सहायता करने, नीतिगत सिफारिशें प्राप्त करने और ठोस, कुशल और विज्ञान-आधारित जल संसाधन प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण करना है। इस प्रकार, WINS का कार्य, ज्ञान साझा करने में वृद्धि करना और सभी के लिए स्वतंत्र रूप से इसे उपलब्ध कराकर जानकारी तक स्वतंत्र पहुंच को मजबूत करना है। इस अर्थ में, यह मंच, ज्ञान तक पहुंच के मामले में विकसित
और विकासशील देशों के बीच की खाई को पाटने में योगदान देता है।