जलवायु परिवर्तन

ग्रीन करियर : पवन ऊर्जा में है भविष्य का मजबूत करियर

पवन ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार का मजबूत भविष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2035 तक पवन ऊर्जा जनरेट करने की लागत आज के मुकाबले 17 से 35 फीसदी तक कम हो जायेगी और पवन ऊर्जा का उत्पादन आज से कई सौ फीसदी बढ़ जायेगा। इसलिए इस ऊर्जा का भविष्य अक्षय है, क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधन कभी कम नहीं होगा। पवन ऊर्जा प्रदूषण रहित है, जिस कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने में इसके जरिये मदद मिलती है।

Author : कीर्ति शेखर

इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग के चलते पूरी दुनिया में जीवाश्म ऊर्जा का यानी फासिल-फ्यूल का बहुत तेजी से विकल्प ढूंढ़ा जा रहा है और कहना न होगा कि बड़े पैमाने पर इसे ढूंढ़ भी लिया गया है। इन्हीं विकल्पों में से एक पवन ऊर्जा का विकल्प भी है। भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ था और पिछले कुछ सालों में इसमें बहुत तेजी आयी है। 31 दिसंबर 2023 तक भारत में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 44.736 गीगावाट (जीडब्ल्यू) थी और आने वाले सालों में इसे और भी तेज विकास करना है, क्योंकि भारत में दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले पवन ऊर्जा के उत्पादन में 40 फीसदी कम लागत आती है और माना जा रहा है कि भारत में करीब 700 गीगावाट पवन ऊर्जा की क्षमता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र सुरक्षित कॅरियर के लिए कितना महत्वपूर्ण है। पवन ऊर्जा में इसलिए भी रोजगार का मजबूत भविष्य टिका हुआ है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2035 तक पवन ऊर्जा पैदा होने में आज लग रही लागत 17 से 35 फीसदी तक और कम हो जायेगी और पवन ऊर्जा का उत्पादन आज से कई सौ फीसदी बढ़ जायेगा।

इसलिए इस ऊर्जा का भविष्य अक्षय है, क्योंकि यह एक ऐसा संसाधन है, जो कुदरत से मिला हुआ है और यह कभी कम नहीं होगा। पवन ऊर्जा प्रदूषण रहित है, जिस कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने में इसके जरिये मदद मिलती है। पवन ऊर्जा उन गिने चुने क्षेत्रों में से है, जहां एक बार निवेश करने के बाद बार बार निवेश की जरूरत नहीं पड़ती, सिर्फ मरम्मत या मेंटेनेस तक ही खर्च सीमित हो जाता है। इसलिए भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाले सालों में जबरदस्त निवेश का अनुमान है। माना जा रहा है कि साल 2027- 28 तक इस क्षेत्र से 10 लाख से ज्यादा नौकरियां निकलेंगी। इसलिए पवन ऊर्जा के क्षेत्र कॅरियर बनाना न सिर्फ सुरक्षित विकल्प है बल्कि यह भविष्य को भी सुरक्षित बनाने का जरिया है।

पवन ऊर्जा के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए जो सबसे उपयुक्त पद है, वह है पवन टरबाइन तकनीशियन का। इसके लिए देश में बहुत जगह शिल्पकार प्रशिक्षण योजना यानी सीटीएस या प्रशिक्षु प्रशिक्षण योजना यानी एटीएस के तहत कोर्स सम्पन्न होते हैं। पवन संयंत्र तकनीशियन आईटीआई का एक प्रमुख विषय है और पूरे देश में फैले करीब 4000 आईटीआई में यह विषय पढ़ाया जाता है, जिससे डिप्लोमा लेकर इस क्षेत्र में नौकरी पायी जाती है। लेकिन अगर आपके पास पहले से ही किसी दूसरे इंडस्ट्रियल क्षेत्र की तकनीकी पृष्ठभूमि है जैसे मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, न्यूएबल एनर्जी, गैस आदि तो आप दो हफ्तों में टरबाइन तकनीशियन का सर्टिफिकेट कोर्स करके भी इस क्षेत्र में नौकरी पा सकते हैं। वैसे पवन ऊर्जा इंजीनियर बनने के लिए आपको टेक्निकल स्किल्स की भी जरूरत होती है। इंजीनियर डिजाइन बनाने, संचालन और टेस्टिंग के लिए कंप्यूटर और अलग अलग तरह के प्रोग्राम का इस्तेमाल करते हैं। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए ये लोग एमएस ऑफिस और बजट सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल करते हैं।

पवन ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां ऐसे आईटीआई प्रशिक्षुओं की तरजीह देती हैं, जो दो साल का डिप्लोमा किए हों और पवन ऊर्जा इंजीनियरों के मामले में तीन से पांच साल के अनुभव वाले इंजीनियरों को प्राथमिकता देती हैं। पवन ऊर्जा के क्षेत्र में इस तरह के काम और नौकरियां उपलब्ध होती हैं।

  • पवन ऊर्जा के व्यावहारिक विश्लेषकों के लिए जो यह तय कर सकें कि संबंधित जगह पर पवन चक्की लगाना व्यवहारिक है या नहीं।
  • पवन ऊर्जा फॉर्म डिजाइन करने वालों और उसका लेआउट बनाने वाले विशेषज्ञों को भी इस क्षेत्र में तरजीह मिलती है।
  • राज्य से अनुबंध प्राप्त करने में मदद करने वालों तथा ऊर्जा उत्पादन में सहायकों को भी इस क्षेत्र में आराम से नौकरी मिलती है।
  • ऐसे लोगों को भी इस क्षेत्र में नौकरी मिलती है जो देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में घूमकर यह पता लगाते हैं कि कहां हवा का बहाव ज्यादा और उत्पादक है।

जहां तक इस क्षेत्र में शुरुआती आमदनी की बात है तो किसी पवन टर्बाइन तकनीशियन को शुरूआती वेतन 20 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह का आसानी से मिल जाता है। इसके बाद अनुभव, विशेषज्ञता और मेहनत करने की क्षमता के अनुरूप वेतन मिलता है। एक पवन टर्बाइन इंजीनियर को पांच साल के अनुभव के बाद 70 हजार से 1 लाख रुपये तक प्रतिमाह का वेतन पाना बहुत मुश्किल नहीं है।

इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए जिन कॉलेज, संस्थानों या इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की जा सकती है उनमें कुछ नाम इस तरह से है।

  • मणिपाल प्रौद्योगिकी संस्थान, मणिपाल
  • इंजीनियरिंग कॉलेज, पुणे
  • एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई
  • दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बंग्लुरु
  • पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर

नोट- पवन ऊर्जा क्षेत्र के तकनीशियनों और इंजीनियरों को जितनी आसानी से भारत में नौकरी उपलब्ध हैं, उससे कहीं ज्यादा विदेशों में भी उपलब्ध हैं। इसलिए यह कहना सुरक्षित है कि इस क्षेत्र में भविष्य शानदार है।

- इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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