लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति तथा सर्वोदय मंडल के तत्वावधान में गांधी मैदान सीतामढी में दुनिया के सबसे ज्वलंत मुद्दे "जलवायु परिवर्तन तथा नदियों का संकट "विषय पर एक संवाद गोष्ठी लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति तथा सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष डा आनन्द किशोर की अध्यक्षता में आयोजित हुई ।डा किशोर ने जलवायु परिवर्तन पर देश-दुनिया तथा इण्डिया सोशल फोरम तथा वर्ल्ड सोशल फोरम की चिन्ता के साथ लखनदेई पुनर्जीवन तथा बागमती तथा अधबारा समूह की नदियों की दयनीय स्थिति की चर्चा की।
बंगाल से लेकर बिहार तक की नदी यात्रा करते हुए सीतामढी में लखनदेई पुनर्जीवन तथा बागमती का अवलोकन करने पहुंचे वरिष्ठ गांधीवादी तथा नदी अध्ययन यात्री कलानन्द मणि ने जिले के राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षित समाज ने नदी जल को अपनी विलासिता के लिए दोहन कर प्रकृति तथा खुद के भविष्य के साथ घोर अन्याय किया है। आधुनिक विकास ने जीवन को जो भी सुगमता दी हो लेकिन सहज,स्वस्थ और चिरंतन जीवन की संभावनाओ को अत्यधिक कुंठित किया है।उदाहरणार्थ पानी का बढता अभाव,पानी हवा का बढता प्रदूषण,आहार का विषाक्त होना तथा जलवायु परिवर्तन का अनियंत्रित होना। आधुनिक जीवन पद्धति ने एक ओर जीवन को सुगम बनाया दूसरी तरफ वर्त्तमान एवं भविष्य को चुनौतीपूर्ण बनाया है। प्रकृतिप्रेमी,जीवनप्रेमी एवं समाजकर्मियों ने बार-बार यह चिन्ता प्रकट की है कि जलवायु परिवर्तन के तमाम कारणो का तत्काल निदान नही हुआ तो अतिशीघ्र यह धरती इंसानो तथा अन्य प्राणियों का रैन बसेरा नही रहेगी।इसलिए आज के संवाद गोष्ठी में यह चिंता प्रकट की गई कि जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचने के लिए तथा प्राणी जगत के अस्तित्व को बचाने के लिए पर्यावरणीय जीवन शैली को सामूहिक स्वीकार तथा उपभोगवादी जीवनशैली का तत्काल त्याग व संवर्धनवादी संस्कृति का प्रसार हीं विकल्प है। नदियों जंगलो को बचायें तथा परिसर को प्रदूषण मुक्त करें इसी मे भविष्य है।
विषय प्रवेश कराते हुए लखनदेई नदी पुनर्जीवन की यात्रा का वर्णन करते हुए लखनदेई नदी बचाओ संघर्ष समिति के साथी पुरातत्वविद रामशरण अग्रवाल ने विस्तार से 8 बर्षों में नदी पुनर्जीवन तथा लक्षमणा के ऐतिहासिक,धार्मिक महत्व तथा अबतक के संघर्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मौके पर इस गंभीर मसले पर अभियान को आगे बढाने के लिए एक प्रस्ताव अध्यक्ष डा आनन्द किशोर ने पेश किया जिसे सर्वसम्मत स्वीकृति के साथ उपस्थित विद्वतजनों की एक वर्किंग ग्रुप बनाने तथा इस ज्वलंत मुद्दे पर अभियान चलाने की सहमति हुई।
संवाद गोष्ठी को कलानन्द मणि जी के साथ आये नदी अध्ययन यात्री मकबूल अहमद तथा भगवान जी पाठक ने भी संबोधित किया।लखनदेई बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य प्रख्यात लेखिका आशा प्रभात,जय किशोर साह ललित,पत्रकार रामशंकर शास्त्री ,विनोद कापड,सर्वोदयी रामप्रमोद मिश्र,उषा शर्मा,नन्दकिशोर मंडल,जलंधर यदुबंशी,विजय शुक्ला,कांग्रेस नेता कमलेश सिंह,प्रमोद कुमार नील,सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता जयप्रकाश राय,केदार शर्मा,सुरेश बैठा,हृषिकेष कुमार,संजय कुमार,अबधेश यादव,अमरेन्द्र राय,चन्द्रदेव मंडल,दिनेश चन्द्र द्विवेदी,विजय शुक्ला,शशिरंजन,मो अली अकबर,भिखारी शर्मा,रामबाबू साह,डा ललन कुमार राय,सुशीला देवी,ओमप्रकाश,मो गयासुद्दीन,मो इरशाद अहमद,अशोक कुमार,अशोक निराला,राकेश कुमार सिंह सहित अन्य लोगो ने संबोधित किया।