लोक संस्कृति

एक दिवसीय नदी संवाद संगोष्ठी का आयोजन

नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन

नदियां हमारी आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन का आधार है।  भोग  पर आधारित आधुनिक विकास नीति  एवं समाज की उपेक्षा के कारण नदियां आज अपने अस्तित्व का संकट झेल रही हैं।  सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई है, लेकिन आधुनिक सभ्यता नदियों को मार रही है।  नदियां हमारी जीवन रेखा हैं। इन्हें सुरक्षित एवं संरक्षित करना आज का युग धर्म है। इसलिए नदियों को बचाने  व पुनर्जीवित करने के लिए अनेक व्यक्ति व समूह कार्य कर रहे जिनके बीच संवाद एवं  सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है।  नदी आंदोलन से जुड़े बंगाल के साथियों की पहल पर नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन की शुरुआत की गई है।  जिसमें   नदियों पर काम करने वाले कई  राज्यों के साथी शामिल हैं। 

कोरोना  के कारण काफी दिनों से साथियों से मिलना नहीं हुआ।  कोरोना काल में जहां आम आदमी जीवन और जीविका के बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था , वही सरकार और कॉर्पोरेट गठजोड़ इस अवसर का उपयोग संविधान प्रदत्त अधिकारों को कुंद करने,  लोगों की आवाज दबाने , पर्यावरण संरक्षण कानून को कमजोर करने तथा प्राकृतिक साधनों संसाधनों के कारपोरेटी लूट की खुली छूट देने के लिए किया ,जिससे स्थिति और खराब हुई है। 

अभी तक '

नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन'

बिहार में 1 दिन की बैठक

16 जुलाई, 2023

इस बैठक में विशेष रूप से  

बिहार में नदियों की स्थिति

बैठक 16 जुलाई , 2023

सुबह 10 बजे से  शाम 5 बजे

हरिहर नाथ मंदिर सोनपुर

सम्पर्क

राजीव मुनमुन, मो;-    9304139222
तापस दास,मो :-  9830779291 

अशोक भारत,मो :- 8709022550  

 सोर्स-नदी बचाओ जीवन बचाओ आंदोलन

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