जलाशयों के साथ अवसाद या तलछट का होना एक मुख्य घटक है। जो कि जलाशयों की अवधि को हानी पहुँचाता है। अवसाद कण साधारणतः दूर तक फैले आवाह क्षेत्र में नदी बहाव से हुए मृदा अपरदन प्रक्रिया से उत्पन्न होते हैं। जब नदी का बहाव जलाशय में कम होता है तो उसके साथ-साथ अवसाद भी जलाशय में जमा हो जाता है और इसकी जलधारण क्षमता को कम कर देता है। जलाशय की जलधारण क्षमता में सीमा से परे हुई क्षति हमारे मूल उद्देश्य में बाधा उत्पन्न करती है जिसके लिए जलाशय का निर्माण किया गया होता है। इसीलिए जलाशयों की उपयोगी अवधि और तलछट जमा होने की दर को ज्ञात करने के लिए आवश्यक है कि उनका एक निश्चित अंतराल पर आंकलन किया जाए। इस आंकलन हेतु कुछ पारंपरिक विधियाँ जैसे कि जल सर्वेक्षण एवं अन्तर्वाह-बहिवाह प्रक्रम उपयोग में लाई जाती हैं जो कि मंहगी होने के साथ-साथ ज्यादा समय लेती है। इसीलिए समय और मंहगी होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से सुदूर संवेदन विधि का इस क्षेत्र में सफलता पूर्वक प्रयोग हुआ है। जिसमें उपग्रह द्वारा जलाशय के फैलाव क्षेत्र का आसानी से अध्ययन किया जा सकता है।
यह विधि हिमालय की तराई में बने भारत गंगेय मैदान के ऊपरी किनारे पर स्थित ब्यास नदी पर बने पोंग जलाशय के तलछट जमा होने की दर की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग में लाई गई है। यह जलाशय हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जनपद में स्थित है। इस विधि में जलाशय में एकत्रित अवसाद मात्रा को ज्ञात करने के लिए भारतीय उपग्रह (पी-6) के संवेदक लिस-तृतीय से प्राप्त आंकड़ों का वर्ण क्रमीय विश्लेषण किया गया है। यह प्रपत्र दर्शाता है कि जलाशय के सजीव संग्रहण क्षेत्र की क्षमता 7292 मिलियन घ.मी. तथा निर्जीव संग्रहण क्षेत्र की क्षमता 8570 मिलियन घ.मी. है। पूर्व रूपेण भरे जलाशय का फैलाव क्षेत्र लगभग 240 वर्ग कि.मी. तथा पोंग बांध तक इसकी नदी ब्यास का आवाह क्षेत्र लगभग 12377.496 वर्ग किमी. है।
जलाशय के अस्थाई विमीय क्षेत्र में होने वाले सामायिक परिवर्तन को ज्ञात करने के लिए भारतीय उपग्रह (पी-6) के संवेदक लिस-तृतीय से प्राप्त आठ तिथियों के आंकड़ों (10 अक्टूबर 2008 से 4 जुलाई 2009 को प्रयोग में लाया गया है। जिसमें अक्टूबर माह अधिकतम जल स्तर 426.72 मी. तथा जुलाई माह न्यूनतम जल स्तर 338.696 मी. को दर्शाता है। जल फैलाव क्षेत्र की गणना के लिए नार्मलाइस्ड डिफरेंस वाटर इंडिसिस (NDWI) विधि का प्रयोग किया गया है। विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकतम जलस्तर पर जलाशय की धारण क्षमता 7233.622 मिलियन घ.मी. जल फैलाव क्षेत्र 246.356 वर्ग कि.मी. तथा तलक्षट जमा होने की दर लगभग 18.08 मिलियन घन मी. प्रतिवर्ष है। यह प्रपत्र भारतीय उपग्रह (पी-6 के संवेदक लिस-तृतीय के आंकड़ों तथा सुदूर संवेदन विधि की उपयोगिता की भी व्याख्या करता है।