पुस्तकें

श्रीदेव सुमन के लिये

Author : डॉ. सृजना राणा

तुम्हें डुबाने वाली टिहरी लो देखो खुद डूब गई।
तुम्हें कुचलने वाली राजशाही, लो देखो खुद डूब गई।

डूब गई कारागार की वो ऊँची दीवारें,
तुम्हें मिटाने वाली क्रूर निगाहें डूब गईं।

निष्ठुरता की साक्षी रहीं, जो वो सभी तारीखें डूब गई।
नदियों के रेतीले तट की वे सभी निशानियाँ डूब गई।

पर तुम्हारी खुशबू अब तक हम सबको सहलाती है
वो निर्मम तानाशाही की काली अमावस बीत गई।

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