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फारूक अहमद डार आंचर झील में अपनी नाव में बैठे हैं, जहां कभी वे अपने परिवार के लिए मछली पकड़ते थे। झील के प्रदूषण ने अब उनकी रोज़ी-रोटी छीन ली है।
स्थानीय रिपोर्ट और क़ानूनी फ़ाइलों से यह साफ़ हो गया है कि मिंटडू नदी के पानी की पारदर्शिता और बहाव क्षमता अब पहले जैसी नहीं रह गई है।
वाता
अचन लैंडफिल के अंदर कबाड़ बीनने वाला एक आदमी गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करते हुए रीसायकल करने लायक चीज़ें ढूंढने के लिए कचरे के ढेर में खुदाई करता हुआ।
मनरेगा योजना के तहत गांवों में खोदे गए तालाबों ने बीते दो दशकों के दौरान ग्रामीण स्‍तर पर जल संरक्षण को मज़बूती प्रदान की।
कपास की खेती में कीटनाशकों और रसायनों का लगातार प्रयोग, छिड़काव के सुरक्षित साधनों की कमी और खेतिहर मज़दूरों में जानकारी के अभाव का असर इसे पैदा करने वालों की आंखों पर हो रहा है।
असम-मेघालय की पर्वतीय घाटियों में बहती कुल्‍सी नदी, जिसपर 55 मेगावाट का हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट बनाने का प्रस्‍ताव है।
ट्रैश बूम बरियर एक सरल और कम-खर्च वाली तकनीक है जो शहर के जल-परिस्थितिकी तंत्र को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण समाधान बनकर उभर रही है।
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