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महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के अलीबाग कस्बे में एक स्टेपवेल (बाबड़ी)
विशेष प्रकार की सूक्ष्‍म छिद्र युक्‍त सामग्री से निर्मित सड़कें बड़ी आसानी से पानी को सोख लती है, जिससे जलभराव नहीं होता और सड़क को पानी से नुकसान भी नहीं होता।
परागकण, बीजाणु या कवक आदि के रूप में पड़ों से निकलकर हवा में उड़ते हैं बायो एरोसोल। ये ऊंचाई पर पहुंच कर बादलों को बरसाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
खतरनाक बनता जा रहा है पर्यावरण प्रदूषण
उत्तराखंड के कुमाऊं पहाड़ों में स्थित तुला कोटे गांव में एक महिला एक चश्मे से पानी भरती हुई।
मानसून के लोकल व माइक्रो स्‍केल पैटर्न्‍स के चलते कहीं बारिश, कहीं धूप जैसी स्थिति बनती है। इससे आसपास के इलाकों में वर्षा के स्‍तर में बड़ा अंतर देखने को मिलता है।
जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में ऑक्सीजन पर निर्भर जीवों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन स्तर ज़रूरी
खमढ़ोडगी में सिंचाई क्रांति
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