बावडी: कुछ अनछुए पहलू

ब्रह्मपुत्र नदी में भूक्षरण
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट के इलाके जबरदस्त कटाव से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार हो रहे कटाव से राज्य की करीब चार हजार वर्ग किलो मीटर भूमि का क्षरण हो चुका है और इससे करीब 2,500 गांवो में बसे 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में होने वाला यह भूक्षरण करीब 80 वर्ग किलो मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है। इस मामले में राज्य के जल संसाधन विभाग ने 25 संवेदनशील और अति क्षरणीय स्थलों की पहचान की है।
डाउन टू अर्थ और अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (एएईटीआई) दोनों के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकारों की स्टोरी को विश्वसनीय बनाने में आंकड़ों और डेटा की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डेटा की मदद से हम संवाद को तथ्यात्मक बना सकते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी में भूक्षरण
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट के इलाके जबरदस्त कटाव से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार हो रहे कटाव से राज्य की करीब चार हजार वर्ग किलो मीटर भूमि का क्षरण हो चुका है और इससे करीब 2,500 गांवो में बसे 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में होने वाला यह भूक्षरण करीब 80 वर्ग किलो मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है। इस मामले में राज्य के जल संसाधन विभाग ने 25 संवेदनशील और अति क्षरणीय स्थलों की पहचान की है।
डाउन टू अर्थ और अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (एएईटीआई) दोनों के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकारों की स्टोरी को विश्वसनीय बनाने में आंकड़ों और डेटा की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डेटा की मदद से हम संवाद को तथ्यात्मक बना सकते हैं।
पसंदीदा आलेख