बावडी: कुछ अनछुए पहलू

एक महत्वपूर्ण सॉशल ऑडिट की रिपोर्ट से पता चला है कि राजस्थान के डूंगरपुर में जहाँ लोग रोजगार को लेकर चुनौतियों से जूझ रहे थे, वहाँ अब सार्वजनिक कार्यों में रोजगार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
देश के बेहद गरीब ग्रामीण इलाकों में एक “खामोश क्रान्ति” की शुरुआत हो चुकी है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (नरेगा), देश के चुनिन्दा जिलों में 2 फ़रवरी से प्रारम्भ हो चुका है और इससे इन जिलों की तस्वीर बदलने लगी है। राजस्थान से चुने गये छः जिलों में से एक है डूंग़रपुर, जिसे नरेगा लागू करने हेतु प्रथम चरण में चुना गया है। यहाँ किये गये एक सॉशल ऑडिट के अनुसार पता चला है कि गरीब ग्रामीणों के जीवन में गत दो माह में ही सुधार हुआ है। यहां आधे से अधिक परिवारों का कम से कम एक सदस्य नरेगा के तहत रोजगार पा चुका है।डाउन टू अर्थ और अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (एएईटीआई) दोनों के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकारों की स्टोरी को विश्वसनीय बनाने में आंकड़ों और डेटा की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डेटा की मदद से हम संवाद को तथ्यात्मक बना सकते हैं।
एक महत्वपूर्ण सॉशल ऑडिट की रिपोर्ट से पता चला है कि राजस्थान के डूंगरपुर में जहाँ लोग रोजगार को लेकर चुनौतियों से जूझ रहे थे, वहाँ अब सार्वजनिक कार्यों में रोजगार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। |
डाउन टू अर्थ और अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (एएईटीआई) दोनों के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकारों की स्टोरी को विश्वसनीय बनाने में आंकड़ों और डेटा की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डेटा की मदद से हम संवाद को तथ्यात्मक बना सकते हैं।
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