बावडी: कुछ अनछुए पहलू

विभिन्न अखबारों और अन्य मीडिया में देश में उपलब्ध पेयजल और भूजल में बढ़ते रासायनिक प्रदूषण के बारे में लगातार रिपोर्ट प्रकाशित होती रहती हैं। बढ़ते औद्योगीकरण की वजह से धरती की ऊपरी सतह से लेकर 200-500 फ़ुट गहराई तक का भूजल धीरे-धीरे प्रदूषित होता जा रहा है। इसी प्रकार की एक रिपोर्ट अशोक शर्मा ने सुदूर उत्तर-पूर्व शिलांग से भेजी है। इसके अनुसार पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लाखों लोग “आर्सेनिक” नाम का धीमा जहर रोज़ाना मजबूरन पेयजल के जरिये निगल रहे हैं। असल में उस इलाके की मुख्य फ़सल चावल है और चावल की कुछ किस्में जमीन से “आर्सेनिक” सोखती हैं, जिसके कारण क्षेत्र में कई गम्भीर बीमारियाँ फ़ैल
डाउन टू अर्थ और अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (एएईटीआई) दोनों के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी पत्रकारों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकारों की स्टोरी को विश्वसनीय बनाने में आंकड़ों और डेटा की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डेटा की मदद से हम संवाद को तथ्यात्मक बना सकते हैं।
विभिन्न अखबारों और अन्य मीडिया में देश में उपलब्ध पेयजल और भूजल में बढ़ते रासायनिक प्रदूषण के बारे में लगातार रिपोर्ट प्रकाशित होती रहती हैं। बढ़ते औद्योगीकरण की वजह से धरती की ऊपरी सतह से लेकर 200-500 फ़ुट गहराई तक का भूजल धीरे-धीरे प्रदूषित होता जा रहा है। इसी प्रकार की एक रिपोर्ट अशोक शर्मा ने सुदूर उत्तर-पूर्व शिलांग से भेजी है। इसके अनुसार पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लाखों लोग “आर्सेनिक” नाम का धीमा जहर रोज़ाना मजबूरन पेयजल के जरिये निगल रहे हैं। असल में उस इलाके की मुख्य फ़सल चावल है और चावल की कुछ किस्में जमीन से “आर्सेनिक” सोखती हैं, जिसके कारण क्षेत्र में कई गम्भीर बीमारियाँ फ़ैल
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