बिहार के बागमती नदी के किनारे बसे सझौती गांव से, छठ पूजा की एक अंतरंग झलक - जहां लाखों प्रवासी अपने घर लौटते हैं, युवा घाट तैयार करते हैं, और परिवार सांझ और भोर दोनों ही समयों में नदी किनारे इकट्ठा हो ...
गांवों में घटते भूजल स्तर और पारंपरिक जल स्रोतों की सामुदायिक अनदेखी ने न सिर्फ़ जल संकट को और गहरा किया है बल्कि इसका असर सिमटते सामाजिक जीवन, खोती परंपराओं और खत्म होती सांस्कृतिक गतिविधियों में भी ...
महुए का पेड़ बस्तर और मेलघाट के जंगलों में रह रहे आदिवासी परिवारों के लिए बहुत खास है। यह उन्हें खाना, दवाई और कमाई तीनों देता है। लोग सुबह-सुबह इसके फूल बीनते हैं, सुखाते हैं और बाज़ार में बेचते हैं। ...